मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में रहने वाली किसान कंचन वर्मा ने  किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नई पहल की है साथ ही  पारंपरिक गेहूं की खेती छोड़ हल्दी उगाने का साहसिक फैसला किया। कंचन के इस कार्य की प्रमुख बात यह है कि वह अपने उत्पाद की  खुद मैन्यूफैक्चरिग कर बेच रही है। 

प्रयोग करने में रखती हैं विश्‍वास

प्रयोग करने में रखती हैं विश्‍वास

कंचन वर्मा सोमलवाड़ा खुर्द गांव से ताल्‍लुक रखती हैं। ऐसा नहीं है कि पारंपरिक फसलों की खेती से वह नुकसान उठा रही थीं। लेकिन, वह बेहतर रिटर्न के लिए नए विकल्प तलाशना चाहती थीं। कंचन मानती हैं कि बतौर किसान खेत में प्रयोग करते रहना चाहिए। प्रयोग करते रहने की कंचन की आदत ही उनकी सफलता का सबसे बड़ा राज साबित हुआ। गेहूं, धान और चने के बजाय कंचन वर्मा ने साल 2020 में हल्‍दी की खेती में कदम रखा। इस सफर में कंचन ने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) का मार्गदर्शन भी हासिल किया। केवीके से मिला मार्गदर्शन लेकर कंचन ने हल्दी की सांगली किस्म की खेती शुरू की। हल्‍दी की यह किस्‍म अपने हाई करक्यूमिन कंटेंट और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इस तरह की हल्‍दी गहरे नारंगी रंग की होती है। मजबूत जड़ों के चलते इसकी बंपर फसल हुई। पारंपरिक फसलों की तुलना में इसने कंचन की आय को दोगुना कर दिया।

 

न्यूज़ सोर्स : ipm