छठी मैया ने अपनी प्यारी बेटी को अपने आंचल में ले लिया,अंतिम समय में भी सदा सुहागन का दिया संदेश
पटना। सुप्रसिद्ध लोक गायिका 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने दिल्ली एम्स में अपनी आखिरी सांस ली। इस खबर ने देशभर में उनके शुभचिंतकों को झकझोर कर रख दिया। शारदा सिन्हा के गाये छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं और इस महापर्व के बीच में उनकी निधन की खबर से प्रशंसकों में मायूसी छायी है। पीएम मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
जदयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव प्रशांत भवेश कुमार कन्हैया ने अपनी गहरी दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के निधन का समाचार अत्यंत हृदय विदारक है। उन्होंने अपनी मधुर आवाज और लोक संगीत के माध्यम से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। उनके गीतों में जो आत्मीयता और संस्कृति की झलक मिलती थी, वह अमूल्य थी।
उनके बिना संगीत जगत में एक अपूरणीय रिक्तता उत्पन्न हो गई है। उनके जाने से बिहार की लोक संस्कृति ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया है। उनके निधन पर भाजपा के नेता मुकेश राणा, आलोक सिंह, चंपा देवी, प्रियांशु कुमार, मुस्कान आदि ने गहरा दुख व्यक्त किया। इस मौके पर इनके निधन पर कहा कि अंगिका एवं छठ गीत की अपनी छाप छोड़ गई।
शारदा सिन्हा अब हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा साथ रहेंगी. छठ महापर्व के गीतों को नई ऊंचाई तक पहुंचाने वाली शारदा सिन्हा को पूरा देश छठ के ही दिन अंतिम विदाई दे रहा है. हमसब के बीच अब शारदा सिन्हा के गाए गीत ही सिर्फ रह जाएंगे. भारत ही नहीं विदेशों में भी शारदा सिन्हा के गाए गीत आने वाले कई वर्षों तक ऐसे ही गूंजते रहेंगे. छठ महापर्व के पहले दिन नहाय खाय के दिन ही बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन वाकई में हृदय विदारक है. इससे करोड़ों छठ प्रेमियों को गहरा सदमा लगा है. लेकिन, उससे भी कहीं ज्यादा उनके आखिरी शब्द याद आएंगे, जिसे सुनकर हर सुहागन की आंखों से आंसू छलक जाएंगे.
शारदा सिन्हा जिंदगीभर छठी मईया की गीत गाती रहीं, लेकिन नहाय-खाय के दिन ही छठी मैया ने अपनी प्यारी बेटी को अपने आंचल में ले लिया. दुख की घड़ी में पूरा देश शारदा सिन्हा के परिवारजनों को धैर्य धारण और दुख सहने की नसीहत दे रहा है. लेकिन, शारदा सिन्हा ने जाते-जाते भी छठी मैया को याद किया और अपने बेटे को अंतिम शब्द बोल दिया.
छठ के दिन ही रुला गईं शारदा सिन्हा
दरअसल, किसी भी महिला की अंतिम इच्छा होती है कि वह अपने पति का साथ जिंदगीभर न छोड़े. शारदा सिन्हा ने भी अपनी अंतिम इच्छा अपने बेटे अंशुमन सिन्हा के साथ शेयर की थी. उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को कहा, ‘उनकी मां की अंतिम इच्छा यही थी कि जहां उनके पिता का अंतिम संस्कार हुआ, वहीं मेरा भी बेटा अंतिम संस्कार कर देना. मेरी इच्छा सुहागन बनकर ही इस दुनिया से जाने की थी, लेकिन वो हो नहीं सका. इसलिए मेरा भी अंतिम संस्कार वहीं करना जहां अपने पिता का किया था.’
शारदा सिन्हा के आखिरी शब्द
बता दें कि शारदा सिन्हा के पति का भी दो महीने पहले लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. शारदा सिन्हा खुद कैंसर से पिछले पांच-छह साल से लड़ रही थीं. लेकिन, कैंसर की बीमारी में भी पति का साथ नहीं छोड़ा. जब पति की दो महीने पहले निधन हो गया तो वह अंदर से टूट गई. बेटे अंशुमन की मानें तो उनकी मां पिता के निधन के बाद काफी निराश रहने लगी थीं. शायद उसे अंदर से जीने की ललक खत्म हो गई थी.