भोपाल। यदुवंशी कुल में जन्मे मप्र के मुख्यमंत्री ने मप्र की अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने का मंत्र ढ़ूढ लिया है। अपने कुल के प्राचीन ज्ञान अनुसार सीएम भांप चुके हैं कि छोटंे-छोटे व्यवसाय ही बड़ी अर्थव्यवस्था का आधार हो सकते हैं। 
विगत कुछ दिनों से जिस तरह बड़े औद्योगिक घरानों से संपर्क किया ,लेकिन उनके दिल से  छोटे व्यवसाय को लेकर बात निकली उससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री समावेशी विकास नीति पर आगे बढ़ना चाहते हैं। भारत औद्योगिक विकास के साथ एक बड़े वर्ग को व्यापार गतिविधि से जोड़ना जरूरी है। आज देश में दूध से लेकर अनाज का भयंकर उत्पाद हो रहा है इसके बाद भी आर्थिक रैंक में किसान हाशिये  पर है। 
किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए सरकार तरह-तरह की कल्याणकारी योजनाएं लाती है। साथ ही पशुपालन या डेयरी एवं कृषि क्षेत्र में नए अनुसंधानों को बढ़ावा देती है। नए-नए अनुसंधान की वजह से ही आज देश में खाद्यान्नों के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है। लगातार घट रही कृषि योग्य भूमि के बावजूद देश में खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है। हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति (Milk Revolution) आदि अनुसंधान की वजह से संभव हो पाया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा पशुधन वाला देश है। यहां मौजूद पशुओं की संख्या दुनिया के सभी देशों से ज्यादा है। इसके बावजूद भारत का डेयरी उद्योग (Dairy Industry) विश्व में अच्छी रैंकिंग पर नहीं है। अमेरिका, ब्राजील, इंग्लैंड जैसे देश दुग्ध उत्पादन (Dairy Industry) में हमसे कहीं आगे है। यही वजह है कि भारत सरकार इन देशों से डेयरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (Dairy Technology Transfer) की बात करती है। भारत और ब्राजील के आपस में काफी अच्छे संबंध हैं। ब्राजील दुग्ध उत्पादन में कई उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है।डेयरी उद्योग में आने वाले क्रांति से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। देश के ज्यादातर राज्य ब्राजील तकनीक के प्रति सकारात्मक हैं और अपने राज्य में इस तकनीक को लाना चाहते हैं ताकि किसानों को इसका फायदा हो सके। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से किसानों को ये लाभ दिया जाएगा। उम्मीद है कि अगले 3 से 5 सालों में भारत के ज्यादातर हिस्सों में किसान डेयरी के उच्च तकनीक से रूबरू हो जाएंगे।

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