अलीगढ़ ।  जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय पोषण समिति बैठक का आयोजन किया गया। डीएम ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा आपसी समन्वय के आधार पर गरीब परिवारों की महिलाओं एवं बच्चों को पोषक आहार का वितरण किया जाता है, सभी अधिकारियों को चाहिए कि वह पूर्ण ईमानदारी एवं पारदर्शिता के साथ पात्र परिवारों को पोषण आहार वितरण करना सुनिश्चित करें। समय समय पर शिविर के माध्यम से स्थानीय जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित किया जाए।
सेल्वा कुमारी जे., जिलाधिकारी गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय पोषण समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कार्य में तेजी एवं पारदर्शिता लाने के लिए कार्यकत्रियों को स्मार्टफोन प्रदान किए गए हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी समेत सभी सुपरवाइजर सुनिश्चित करें कि ऑनलाइन फीडिंग का कार्य शत-प्रतिशत हो। उन्होंने कहा कि गरीबों एवं जरूरतमंद की सेवा करना ईश्वर की सेवा से कम नहीं है। सामूहिक रूप से खाद्यान्न वितरण का कार्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से किया जाएं योजनाओं के सफल संचालन में जनप्रतिनिधियों के विश्वास एवं सम्मान को बनाए रखा जाए। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रेयश कुमार ने बताया कि जनपद में 3039 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं 1763 विद्यालयों में तथा शेष निजी भवनों में संचालित की जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनपद में 12 नवीन आंगनवाड़ी केंद्र बनाने का प्रस्ताव शासन द्वारा स्वीकृत किया गया है। कार्यदायी संस्था के रूप में आरईएस को नामित किया जा चुका है। आईजीआरएस में कोई शिकायत डिफाल्टर की श्रेणी में नहीं है। जिस पर डीएम ने प्राप्त शिकायतों को नियमित रूप से निस्तारित करने के निर्देश दिये। डीपीओ ने बताया कि 669 आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को पंचायत के माध्यम से कुर्सी-मेज की व्यवस्था कराई गयी है। सीएसआर फण्ड से भी यह कार्य किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया कि हर बुधवार एवं शनिवार को सत्रों का आयोजन कर वजन, हीमोग्लोबिन, यूरिन की जांच की जाती है। गर्भवती महिलाओं को आयरन, फोलिक एसिड की गोलियां वितरित की जातीं हैं। अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा जाता है। डीएम ने एनआरसी को खाली न रखे जाने के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि विगत वर्ष 73927 गर्भवती महिलाओं को प्रतिरक्षित एवं 79002 बच्चों को पूर्ण प्रतिरक्षित किया गया।