डॉ मोहन यादव मतलब आत्मनिर्भर मप्र का जमीनी स्वरूप
योगेन्द्र पटेल- राजनीतिक -सामाजिक विश्लेषक
नीति निर्माण सिर्फ कागज पर नहीं चलना चाहिए उसका सामुदायिकरण होकर पारदर्शिता से जन-जन में संप्रेषण होना चाहिए। यह विकसित भारत की राह है। यह राह दस वर्ष पहले सूबे के रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बना चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जो की आज मप्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे हैं इस रास्ते पर एक नई उम्मीद का नवांकुर करेंगे।
इन कार्य पर करना होगा फोकस
वर्तमान मुख्यमंत्री को रेवड़ी कलचर से हटकर समुदाय को सरकार के साथ सहभागी बनाकर सतत विकास के टिकाउ स्वरूप पर कार्य करना होगा। जिसके तहत निम्न बिन्दुओं पर अपना फोकस कर राजनीति से उपर उठकर समग्र कल्याण के बारे में सोचना होगा।
मिशन अर्थ-
मिशन अर्थ अंतर्गत किसानों को अपनी फसल के विविधिकरण करवाने पर फोकस करने की आवश्यकता है, किसाना उगाता है पर सहीं दाम एवं सहीं ब्राण्ड के साथ अपने उत्पाद बेच नहीं पाता है इस को लेकर आय के अलग-अलग संसाधनों को जाग्रत करने की आवश्यकता है।
मिशन दक्ष -
ज्ञान और कौशल के लिए गतिशील दृष्टिकोण अब अधिक अपनाने की जरूरत है, बच्चा किताबों में रटन परंपरा को छोड़कर क्या पढ़ा और उसे अपने जीवन के लिए क्या उपयोग किया इस को लेकर चिन्हांकन एवं लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है।
मिशन ग्रामोदय-
ग्रामीण अंचल में रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार हेतु आवास,मूलभूत और आधारभूत संरचनाओं का विस्तार किया जाना आवश्यक है।
मिशन जनगण -
सुशासन के तहत भी एक मिशन की आवश्यकता है , जिसमें सरकार के साथ जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना एवं सरकार दिन.रात मिशन मोड में कार्य कर आत्म.निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लक्ष्यों को हासिल करना है।
मिशन नगरोदय-
नगरों के विकास एवं उसके रहवासियों को मूलभूत सुविधाओं का लाभ सही मिले इस पर कार्य करना होगा।
मिशन निरामय-
स्वास्थ्य के प्रति सजगता एवं बिमारी को आने से पहले ही रोकने वाले उपायो के सृजन के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
मिशन बोधि -
जनता सरकार के विजन एवं मिशन को प्रतिबिंम्ब है। आत्मनिर्भर मप्र के निर्माण के लिए जनता का कागजी ज्ञान के अलावा कौशलमय शिक्षा का उपयोग सरकारें विकास सहभागिता में करें इस की आवश्यकता है।
मिशन निर्माण-
टिकाऊ विकास के लिए मिशन निर्माण मोड में सामुदायिक पुट जरूरी है। स्थानीय समितियों से निर्माण कार्य करवाएं जाएं या उन्हे निर्माण कार्य पारदर्शिता में शामिल किया जाए तो कार्य अच्छे एवं पारदर्शिता के साथ होंगे।