मप्र में सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को घेर रहे नेता
भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस सोशल मीडिया को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। विपक्षी दल पर हमला करने और अपनी पार्टी की नीतियों का प्रचार प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया को बड़ा माध्यम है। इस चुनाव में वोटर और टारगेटेड ग्रुप्स पर पकड़ मजबूत बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने सोशल मीडिया की टीम को खासी ट्रेनिंग दी है। यही नहीं दोनों ही दलों के राष्ट्रीय स्तर के नेता मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं। विपक्षी दलों पर हमला करने के लिए पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट के बजाय थर्ड पार्टी अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया की टीम में अलग-अलग थीम पर बने पेज और अकाउंट्स से विरोधियों पर हमले किए जा रहे हैं। भाजपा की सोशल मीडिया टीम तीन टाइप के टास्क पर काम करती है। पहला केन्द्र और मप्र की भाजपा सरकार की उपलब्धियों के कंटेंट, वीडियो, फोटो, ग्राफिक्स और लाभार्थिंयों की बाइट को शेयर करना। दूसरा दिग्विजय सिंह की सरकार के दस सालों को दुरावस्था का दौर और मिस्टर बंटाढ़ार जैसे शब्दों के साथ कंटेंट तैयार किया जा रहा है। तीसरा कमलनाथ सरकार बनने के पहले किए गए वादों को पूरा न करने को लेकर गीत, लोकगीत में बनाए गए वीडियो, फोटो ग्राफिक्स को शेयर किया जा रहा है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तत्कालीन सीएम बसवराज बोम्मई की फोटो लगाकर पेटीएम की तरह स्कैनर जारी कर भाजपा सरकार पर करप्शन के मुद्दे पर सीधा हमला बोला था। यह कैम्पेन कर्नाटक में प्रभावी रहा। इसी तरह का पोस्टर कैम्पेन एमपी में भी चलाने की तैयारी चल रही थी कि उसके पहले ही 23 जून को भोपाल में कमलनाथ के खिलाफ ही पोस्टर्स लग गए। इन पोस्टर्स को लेकर जमकर राजनीति हुई। लेकिन, भाजपा ने खुलकर इन पोस्टर्स की जिम्मेदारी नहीं ली। बल्कि, कांग्रेस की नीतियों से नाराज लोगों द्वारा पोस्टर लगाने की बात कही। कमलनाथ के खिलाफ पोस्टर लगने के बाद भोपाल से लेकर प्रदेश के दूसरे जिलों में कमलनाथ और सीएम शिवराज के खिलाफ पोस्टर लगाए गए। पोस्टर्स के जरिए एक दूसरे पर सीधे हमले किए गए। लेकिन, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने इनकी सीधी जिम्मेदारी नहीं ली। आने वाले दिनों में पोस्टर्स की पॉलिटिक्स और ज्यादा तेज होगी। वहीं कांग्रेस के इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया डिपार्टमेंट के हेड जयराम रमेश ने मप्र सहित इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव वाले राज्यों के सोशल मीडिया टीम की बैठक की। इस बैठक में यह तय हुआ कि आक्रामक रूप से सोशल मीडिया के जरिए कंटेंट शेयर किया जाए। इनमें क्षेत्रीय भाषाओं में बने गीत, लोकगीतों के साथ शॉर्ट वीडियो शेयर किए जाएं। इसके बाद से ही कांग्रेस के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगातार रैप सॉन्ग, लोकगीत, आल्हा की तर्ज पर बने वीडियोज के जरिए शिवराज सरकार पर हमले बोले जा रहे हैं।
एमपी एक्सप्रेस- फेसबुक पर बने इस पेज पर ग्राफिक्स और फोटोज के जरिए शिवराज सरकार पर हमले किए जा रहे हैं। अखबारों में आने वाली खबरों के जरिए इस पेज पर भाजपा की नीतियों को जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। इस पेज पर करीब 11 हजार फॉलोअर्स हैं।
मप्र सीएम रिपोर्ट कार्ड- फेसबुक पर बने इस पेज पर करीब एक मिलियन फॉलोअर्स हैं। इस पेज के जरिए मप्र की शिवराज सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं के फोटो, वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। इस पेज पर पब्लिक के फीडबैक के वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं। इस पेज का संचालन इंडिपेंडेंट ग्रुप्स द्वारा गुड गवर्नेंस के लिए किया जा रहा है।
कांग्रेस मुक्त मध्यप्रदेश- इस फेसबुक पेज पर करीब 3 लाख 46 हजार फॉलोअर्स हैं। इस पेज पर कांग्रेस नेताओं और दिग्विजय सिंह की सरकार के दौर के वक्त के मध्यप्रदेश की स्थिति को बताते हुए वीडियो और ग्राफिक्स शेयर किए जा रहे हैं। वहीं कमलनाथ सरकार में हुई वादा खिलाफी को भी वीडियो और ग्राफिक्स के रुप में शेयर किया जा रहा है।