भारत सरकार की मंशा अनुसार एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को आम जन मानस तक पहुंचाने संम्पूर्ण भारत में करोड़ों रूपये के बजट वाली सरकारी विकसित भारत यात्रा निकाली जा रही है। पर इस यात्रा में प्रधानमंत्री जी के सपनों को पंख लग पाएंगे ऐसा होता दिख नहीं रहा है। विकसित भारत यात्रा को जिस तरह से प्रस्तुत किया जा रहा उससे भारत 2047 तो क्या 2070 तक भी टिकाऊ विकास के सपने ही सिर्फ देख ही सकता है ऐसा महसूस हो रहा है। 
विकसित भारत के संकल्व की थीम पर अफसर किस तरह पलिता लगा रहे हैं इसके नजारे अगर देखना है तो आपको यात्रा को करीब से झांकना होगा। पूरी यात्रा को छोटे कर्मचारियों के कंधे पर तलवार लटकाकर रन किया जा रहा है। 
सबसे बड़ी बात तो यह है कि संकल्प यात्रा में न विकसित भारत के विकास के खाके को कैसे समुदाय के साथ मिलकर तैयार किया जाए वह बात होती है न ही टिकाऊ  विकास के मोदी सपने को कोई प्रस्तुत किया जा रहो ऐसा दिखता हैे ।  विकसित देशों के चमकते स्वरूप  परिकल्पना में  राजनीति के दलदल में डूबे भारत के लिए यह बड़ी चिंता का सबक हो सकता है कि जिस विकसित भारत के लिए नीति आयोग के निर्देश एवं विकसित देश की टिकाउ एवं सतत विकास की परिकल्पा हेतु संकल्प यात्रा निकाली जा रही है उस यात्रा में कोई भी बुद्विजीवि वर्ग को शामिल व्यवस्थागत तरीके से किया गया हो ऐसा दिखता नहीं है। साथ ही स्थानीय स्तर के उन अनुभवों को भी शामिल  किया जाना था जिनके स्थानीय भौगोलिक ज्ञान एवं अनुभव से टिकाऊ विकास हो सके ऐसी प्रस्तुति की अनूभति यात्राओं में नहीं हो रही है। सफलता की सरकारी कहानी तो प्रस्तुत की जा रही है लेकिन आगामी दिनों में आमजन स्वयं कैसे आत्मनिर्भर हो एवं विकास गतिविधि में शामिल हो अपने ग्राम अपने शहर के विकास के लिए सरकार के साथ कंधे-से कंधा मिलाकर विकसित भारत की नीवं कैसे रखे ऐसा प्रस्तुतिकरण दिखता नहीं है। 

कैसे विकसित होगा देश
प्रधानमंत्री मोदी  नरेन्द्र मोदी ने अपना पंचसूत्रीय फार्मूला GYAN राजनेताओं एवं अफसरों को दिया है जिसमें 
गरीबी
युवा
अन्नदाता
नारी 

गरीबी- कैसे हटेगी गरीबी, जब सरकारें राजनीति लाभ वाली योजनाओं को परोसकर जनता को टिकाउ नहीं चलाउ नीति पर चलने मजबूर कर देंगे। गरीबी को कम करने को लेकर हमें विकसित देशों की नीतियों पर गौर करना चाहिए। 
युवा- भारत के विकास में युवा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में होगा यह सब को पता है लेकिन 50 प्रतिशत युवाओं को नशे का आदि बना दिया जा रहा हैं। अन्य बचे छोटी-मोटी नौकरी के लिए अपना समय जाया कर रहे हैं और थोड़ा समय बच गया तो राजनीतिक दलों को इवेंट में अनपा समय गवा रहे हैं ऐसे में युवाओं के हुनर को जमीनी स्तर पर पंख लगाने का प्रयोगिक वर्क होने चाहिए,ऐसा संदेश यात्राओं में हो ऐसा दिखता नहीं है। 
अन्नदात ,अब बात आती है मोदी जी के अन्नदाता वाले फार्मूले पर चिंतन की तो सरकारों को चाहिए की वह ऐसा प्लान तैयार करें कि किसान कर्ज के बोझ से कैसे निकले एवं किसान को भी यह समझना पढेगा कि अब कर्जमाफी जैसी राजनीतिक व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है इसलिए वह खेती में अपने नये-नये नवाचार करें । 
नारी सम्मान- प्रधान मंत्री का नारी सम्मान कार्यक्रम सराहनीय है पर नारी को कार्यक्षेत्र में सुरक्षा के साथ उसे उद्यमी बनाना एवं अलग-अलग आयामों सहभागी बनाना अभी भी बाकी है। सरकार को अभी नारी को अबला न बनाकर सबला बनाने ग्राउंउ पर वर्क करने की आवश्यकता लगती है। 
           विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने एक अलग नीति बनाए जाने की आवश्यकता नजर आ रही है। प्रशासन के कार्य में समुदाय की भूमिका विकास का सबसे अहम बिन्दु है जिसके बारे में भारत के लोगों को अंजान रखा जा रहा है। भारत के विकास को लेकर बने 17 बिन्दुओं को लागू सिर्फ सरकारी तंत्र एवं राजनीतिक तंत्र के भरोष कर पाना संभव नहीं है। अब विकसित भारत बनाना है है तो सबसे पहले विकसित देशों की नीतियों को समझकर भारत के परिपेक्ष में समुदाय के साथ मिलकर लागू करना होगा।  


 
 

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