एक ज़िम्मेदार सामुदायिक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के लिये वैश्विक सहयोग जरूरी
किसी भी देश के समावेशी विकास की परिकल्पना तभी साकार हो सकती जब उस देश में व्यापार की धारणा लचीली एवं सामुदायिक हो। भारत में अभी इसके इतर है। देश की आधी से अधिक अर्थव्यवस्था सीमित लोगों के हाथ में है जिससे देश के धन को खो देने का खतरा है।
ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव से उम्मीद की जा सकती है कि प्रदेश के आर्थिक परिस्थितिक तंत्र विकास में वैश्विक तकनीकी प्रयासों का सहयोग लेते हुए सामुदायिक व्यापार विकास की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
वैश्विक व्यापार परिस्थिति तंत्र एवं मप्र की स्थिति
अब जब हम सामुदायिक व्यापार की बात समावेशी विकास के नजरिये से करते हैं तो हमारे तंत्र की चुनौतियों के साथ सामुदायिक चुनौतियां भी है। समुदाय का अधिक्तर तबका सिर्फ उत्पादन तक सीमित है,बाजर की पहुंच एवं उसे विश्वयापी बनाने में फिनटेक शिक्षा, खुदरा बैंकिंग, अनुदान संचयन, गैर.लाभकारी और निवेश प्रबंधन जैसी योग्यता से वंचित रखा गया है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि महत्त्वपूर्ण व्यवसाय विस्तार तथा रोज़गार सृजन के साथ तेज़ी से बढ़ने वाला उद्योग के कार्य आम नागरिक की पहुंच से दूर होते जा रहे है।
सामाजिक पूंजी के तत्व हो रहे कमजोर
एक मजबूत सामुदायिक व्यापार तंत्र के निर्माण से ही विकसित भारत का विस्तार हो सकेगा है इसके उदाहरण विकसित देशों के सामाजिक पूंजी से समृद्ध लोगों का सहयोग,सहकारिता, विश्वास, पारस्परिकता और आम भलाई पर ध्यान केंद्रित कार्यक्रम हैं। इसके विपरित मप्र में लोग उद्यमशील परिस्थिति तंत्र के केन्द्र से दूर हैं।
मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि वे अपने दौरे से लौटने के बाद ऐसा वैश्विक व्यापार पुल का निर्माण करेंगे एवं विदेशी निवेशकों से उसी निवेश के लिए माहौल तैयार करेंगे जो मप्र के प्रतिभावान युवाओं को रोजगार सृजन का उद्यमी परिस्थिति तंत्र विकसित करने में सहायक सिद्ध हो सके।
Engaged in one-on-one discussions with leading UK industrialists and business leaders to explore investment opportunities and foster direct collaboration.
Yogendra Patel