महात्मा गांधी की डेथ एनिवर्सरी पर 30 जनवरी को ओटीटी प्लेटफॉर्म 'लाइमलाइट' पर रिलीज होने वाली फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता सिकंदर बहल ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इस विवादित फिल्म के सभी कंटेंट को हटाने की मांग की है। इस बीच भारतीय युवा कांग्रेस ने भी निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के पूरा होने तक 'व्हाई आई किल्ड गांधी' फिल्म के रिलीज पर रोक लगाई जाए।

याचिकाकर्ता सिकंदर बहल ने अपनी याचिका में एडवोकेट अनुज भंडारी के माध्यम से किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया साइट्स पर किसी भी तरह से फिल्म या इसके किसी भी कंटेंट के किसी भी एक्सिबिशन या पब्लिकेशन पर रोक लगाने की मांग भी की है। याचिका में कहा गया है कि अगर फिल्म की रिलीज और एक्सिबिशन को नहीं रोका गया, तो यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की छवि को अपूरणीय रूप से खराब करेगी और सार्वजनिक अशांति, घृणा और द्वेष का कारण बनेगी। यही कारण है कि फिल्म को लेकर विवाद हो रहा है। याचिका में ओटीटी प्लेटफार्मों के कंटेंट रेग्युलेशन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। फिल्म के 2 मिनट 20 सेकेंड के ट्रेलर में भारत के विभाजन और पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के लिए महात्मा गांधी को दोषी ठहराने का प्रयास किया गया है। इतना ही नहीं फिल्म में महात्मा की हत्या को सही ठहराने की कोशिश भी की गई है। महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथू राम गोडसे ने की थी। फिल्म का ट्रेलर 22 जनवरी को रिलीज किया गया था।

वहीं कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस फिल्म में सांप्रदायिक पहलू नजर आ रहा है। युवा कांग्रेस के अनुसार, महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जीवन पर बनी यह फिल्म 'लाइमलाइट' नाम के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। कांग्रेस की युवा इकाई के विधि प्रकोष्ठ ने निर्वाचन आयोग के समक्ष अपील की है कि इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने कहा, "यह देश गांधी का है और गांधी का ही रहेगा। गोडसे की सोच की यहां कोई जगह नहीं है। ऐसी फिल्म पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।"

ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर फिल्म पर टोटल बेन लगाने की मांग की- पिछले साल टॉप कोर्ट ने पाया था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 'अनकंट्रोल्ड और अनस्क्रीन्ड' फिल्मों को देखना एक मुद्दा है। शीर्ष अदालत ने कहा, "मौजूदा मामले के तथ्यों में से एक मुद्दा उन प्लेटफार्मों के 'कंट्रोल और रेगुलेशन' से संबंधित है, जिन पर वेब सीरीज रिलीज की जाती हैं।" फिल्म को लेकर चल रहे विवाद के बीच ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फिल्म पर टोटल बेन लगाने की मांग की है। क्योंकि यह फिल्म के जरिए बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने की कोशिश की गई है। इतना ही नहीं इस फिल्म के रिलीज होने से लोगों को झटका लगेगा।

इस फिल्म में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद अमोल कोल्हे ने 'गोडसे' की भूमिका निभाई है, जो पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी सहयोगी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच मनमुटाव पैदा कर रहे हैं। आलोचना और विवाद बढ़ने के बाद अमोल कोल्हे ने इस पर अपनी सफाई दी और कहा कि गांधीवादी विचारों में मेरा दृढ़ विश्वास है। उन्होंने कहा कि मैंने खुद को चुनौती देने के लिए इस विवादास्पद किरदार को चुना।

'व्हाई आई किल्ड गांधी' अशोक त्यागी द्वारा निर्देशित है। इस फिल्म को 'राइट्स मीडिया इंटरनेशनल' के बैनर तले कल्याणी सिंह द्वारा प्रोड्यूस किया गया है। मान सिंह फिल्म के प्रस्तुतकर्ताओं में से एक हैं। यह फिल्म 2017 में बनी थी। महात्मा गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर वह कौन सी बड़ी वजह थी, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया, फिल्म में यही दिखाया गया है। इस सवाल पर एक किताब भी है, जो नाथूराम गोडसे के नाम से प्रकाशित है। फिल्म की कुल अवधि लगभग 45 मिनट की है।