संदीप सोनी

शहडोल चापा- जहाँ शासन और मध्यप्रदेश सरकार ग्राम पंचायतो के शशक्तिकरण को लेकर हुंकार भरता रहा है, उसकी पोल आप जिले के ही ग्राम पंचायत चापा पर जाकर देख सकते है, कहने को तो यह इलाका प्रतिष्ठित बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज का रास्ता भी है, अमूमन अब इसे ग्रामीण अंचल न बोलकर अर्धशहरी (Semiurban) इलाका बोला जाना गलत नहीं होगा परन्तु गाँव का खस्ता हाल विकास देखकर कहानी कुछ और ही बयान करती है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम द्वारा पोषित पंचायत दर्पण पोर्टल - जो की गाँव के आमजनो के लिए बनाया गया है जिसपे ग्रामवासी अपने गाँव के चल रहे विकास कार्यो एवं उनपे किये गए खर्ची का विवरण देख सकते है उस पोर्टल पर भी जानकारी 2017 के बाद से नहीं भरी गयी है, ग्रामसभा का भी कोई प्रस्तावित विवरण आप पोर्टल पर नहीं पाएंगे,वैसे गाँव की मुखिया सरपंच "उमा मार्को एवं सचिव "अंकित गौतम को भी इस सन्दर्भ में कोई जानकारी नहीं है, ये बात और है की कार्यालय स्टेशनरी एवं अन्य भत्ते के नाम पर किया हुआ हर महीने का खर्च का विवरण आपको पोर्टल पर अंकित किया हुआ जरूर मिल जायेगा, तानाशाही का यह आलम है की ग्रामसभा द्वारा स्वीकृत विकास कार्यो को सरपंच द्वारा व्यवधान डालकर बंद करा दिया जाता है, छोटे मोटे प्रमाण पत्र, सेज पत्र के लिए भी ग्रामवासियो से पैसे मांगे जाते रहे है, एक विशेष जाती समूह की महिला क़ानूनी सरंक्षण सरपंच द्वारा पूर्ण रूप से लि रहा है, मुरुम एवं गिट्टी की कालाबाज़ारी की शिकायत तोरहा है, मुरुम एवं गिट्टी की कालाबाज़ारी की शिकायत तो आम सी बात हो गयी है, कुल्हाड़ी, टंगिया जैसे हथियार लेकर ग्रामसरपँच द्वारा खुद ही लोगो के घर में घुसकर न्याय करने का वीडियो भी वायरल हो चुका है, ग्राम वासियो द्वारा आवाज़ उठाने पर पुलिस बुलाने एवं झूठा मुक्कामा 'दर्ज करने की धमकी कोई नयी बात नहीं रही है जिसका आवेदन हर माह ग्रामवासियो द्वारा उच्च पदाधिकारियों को दिया जाता रहा है !

पैसा एक्ट, आयुष्मान कार्ड वितरण या कोई भी नयी योजना का जागरूकता कार्यक्रम आप इस गाँव में नहीं देख पाएंगे,ग्राम सचिव द्वारा भी असहाय होने का बहाना उनकी संलिप्तता को दर्शाता है, बैगा बहुल्य इलाका होने के बावजूद भी प्रशासन द्वारा ध्यान खींचने में ग्रामवासी अब हार चुके है, यदि पोर्टल पर विकास कार्यो के लिए आवंटित राशि की भी कोई कमी नहीं है और बार बार शिकायत होने के बावजूद भी उच्च पदाधिकारियों द्वारा इनकी जवाबदेही तय नहीं हो रही तो ग्रामवासीयो का आक्रोश मजबूरन एक बड़ा आंदोलन करने पर विवश हो जायेगा और भविस्य में गंभीर रूप लेगा. अगर भारी भरकम चुनाव प्रचार प्रसार के बाद ऐसे सरपंच संवैधानिक पदों पर बैठेंगे तो ग्रामवासियों को तानाशाह प्रबंधन और निरंकुश पद्दति के आलावा कुछ हासिल नहीं होगा. शहडोल प्रशासन को इस और विशेष कार्यवाही की जरुरत है.

न्यूज़ सोर्स : ipm