बाजार लिकेज से अछूते 80 प्रतिशत FPO ,सामुदायिक कृषि व्यापार होगा शिवराज के सामने चुनौति

देश में नई सरकार का गठन हो गया है। इस बीच मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देश की आर्थिक शक्ति पर केन्द्रित कृषि मंत्रालय सौपा गया है। उम्मीद की जा रही है कि मप्र के नाम कई कृषि कर्मण अवार्ड प्रदान करने वाले शिवराज सिंह चौहान कॉरपोरेट जगत के कृषि क्षेत्र में फैलते मायाजाल के बीच किसानी को सामुदायिक कृषि की ओर मोड़ेंगे।
अगर हम कृषि क्षेत्र की बात करें तो पिछले सत्र की अपेक्षा इस नई सरकार में शिवराज के सामने किसानों में नया भरोषा पैदा करना प्रमुख चुनौति होगी। कागजों पर चल रहे किसान उत्पादों को फिर से कैसे जीवित किया जा सकता है एवं उन्हे बाजार लिंक से सीधे कैसे जोड़ा जा सकता है इस पर बड़ा रौडमैप बनाना होगा। अगर हम एफपीओ की वर्तमान स्थित को देखें तो 80 प्रतिशत एफपीओ निष्क्रिय अवस्था में हैं। छोटे एवं सीमांत किसानों के उत्थान के लिए बनाई गई परियोजना की इस वक्त कॉरपोरेट जगत के सामने दुर्गती का शिकार हो रही है। इस वक्त किसान उत्पादन तो खूब कर रहा है लेकिन मण्डी के सहारे बैठे किसान को उसके उत्पाद का सही दाम नहीं मिल रहा है।
हमारी संस्था ग्रामोजन फाउंडेश द्वारा विगत तीन माह से किसान उत्पाद संगठनों के डेटा पर किये गए वर्क में पता चला है कि देश के 80 प्रतिशत एफपीओ जीवंत अवस्था में नहीं है। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान किसानों का कहना है कि विगत कुछ सालों में उत्साहजनक कार्य तो हुए हैं लेकिन इसका दायरा उन्ही लोगों तक सिमटा है जो कहीं ना कही से कॉरपोरेट के बैसाखी पर चल रहे हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्री के सामने अन्य राज्यों को साधते हुए एक राज्य एक उत्पाद के कांसेप्ट को आगे बढ़ाना हो वहीं मप्र जैसे राज्यों में एक जिला एक उत्पाद के लिए किसान उत्पाद प्रदर्शनी एवं हर ब्लाक पर किसान हॉट जैसे नवाचारों को बढ़ावा देना होगा।
- FPOs के संवर्द्धन हेतु सरकार के प्रयास:
- वर्ष 2011 से सरकार द्वारा ‘लघु कृषक कृषि व्यापार संघ’ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium- SFAC), नाबार्ड, राज्य सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों के तहत FPOs को सक्रियता के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है।
- केंद्रीय बजट 2018-19 में FPOs के लिये पाँच वर्ष की कर छूट सहित कई सहायक उपायों की घोषणा की गई, जबकि केंद्रीय बजट 2019-20 के तहत अगले पाँच वर्षों में 10,000 नए FPOs की स्थापना करने की बात की गई थी।
- एक जनपद एक उत्पाद क्लस्टर: हाल ही में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा FPOs के महत्त्व को रेखांकित किया गया, जिन्हें उत्पादन क्लस्टर में विकसित किया जाना है। उत्पादन क्लस्टर में आकारिक मितव्ययिता का लाभ उठाने और सदस्यों के लिये बाज़ार पहुँच में सुधार हेतु कृषि और बागवानी उत्पादों की खेती की जाती है।
- एक जनपद एक उत्पाद क्लस्टर फसलों के उत्पादन में विशेषज्ञता और कृषि उत्पादों के बेहतर प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग तथा निर्यात को बढ़ावा देगा।
- सामूहिक कृषि: FPOs के माध्यम से एक ही क्षेत्र में उपस्थित अलग-अलग किसानों के छोटी जोत वाले खेतों का उपयोग करते हुए सामूहिक कृषि को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- इसके साथ ही आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करने और नए बाज़ारों को खोजने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिये। सामूहिक खेती में महिला किसान प्रमुख भूमिका निभाएंगी।