कम मतदान वाली 95 विधानसभा सीटों पर आयोग का फोकस
इस बार मतदान प्रतिशत बढ़वाएंगे... केन्द्रों की विसंगतियां भी दूर होंगी
भोपाल । एक तरफ राजनीतिक दल जोर-शोर से विधानसभा चुनाव के लिए जुट गए हैं, तो दूसरी तरफ भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लगातार अफसरों की बैठकें ली जा रही हैं। आयोग के निर्देश पर ही तीन साल से जमे मैदानी अफसरों के भी तबादले कर दिए हैं, वहीं उन 95 सीटों पर भी फोकस किया गया है, जहां पिछले चुनाव में मतदान का प्रतिशत औसत से भी कम था। लिहाजा इन सीटों पर इस बार चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। मतदान केन्द्रों की जो विसंगतियां हैं, उसे भी आयोग दूर करवा रहा है, साथ ही अब लगातार जनजागरूकता अभियान मतदान होने तक सभी 230 सीटों पर जारी रहेंगे।
अभी आयोग द्वारा मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य भी कराया जा रहा है और अंतिम कार्य के पश्चात अक्टूबर में मतदाता सूची को अंतिम रूप से घोषित किया जाएगा, जिसके आधार पर नवम्बर अंत में चुनाव होना है। कलेक्टरों से लेकर सभी रिटर्निंग अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, वहीं एक मुद्दा मतदान प्रतिशत बढ़ाने का भी शामिल है। आयोग इस बात को लेकर चिंतित है कि पिछले चुनाव में ऐसी 95 विधानसभा सीटें थीं, जहां पर औसत से भी कम मतदान हुआ। उदाहरण के लिए जोबट विधानसभा सीट में लगभग 22 फीसदी औसत से कम मतदान हुआ। इसी तरह ग्वालियर, भिंड, मुरैना, रीवा, अटेर, महूगंज सहित इंदौर-भोपाल की भी कुछ सीटों पर प्रतिशत कम ही रहा। आयोग ने कम मतदान के कारणों को भी जानने के प्रयास किए, जिसमें मजदूरों के पलायन, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी सहित अन्य कामों में व्यस्त रहने के अलावा मतदान केन्द्रों की दूरी और अन्य समस्याएं भी सामने आई।