करीब एक साल पहले शिरोमणि का छोटा भाई आदित्य विज्ञान की किताब में लोटस सिल्क के बारें पढ़ा तो कुछ देर का पॉज लेकर रुक गया। क्योंकि उनके घर के पास ही बड़ा सा तालाब है। यहाँ कई सारे लोटस वर्षो से देखतें आ रहा हैं। लोटस सिल्क यानी रेशम प्रश्न उठा तो घर में लोटस से बनें सिल्क के बारें में चर्चा ने जोर पकड़ा। पापा शिवनारायण दहीकर के मन में भी जिज्ञासा जागी। तो इस जिज्ञासा को किताबों और नेट के सहयोग से शांत किया और इस पर आगे रोचक जानकारियाँ मिली। बस यही से बेटी शिरोमणि दहीकर कक्षा 11 वी को विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित होने वाली इंस्पायर अवॉर्ड में शामिल होने का आइडिया आया। इस पर आगे विचार करने पर लोटल सिल्क को मैकेनाइज्ड फॉर्म में लाकर उत्पादन करने का मॉडल बनाने का विचार आया। इस आइडिया को शिरोमणि ने विभाग के पोर्टल पर पंजीयन कराया। इस पोर्टल पर करीब 8 लाख विद्यार्थियों ने अपने-अपने आइडिया अपलोड किए थे। इसमें से 10 प्रतिशत यूनिक आइडिया चुनें गए।

इन 80 हजार में एक मॉडल लांजी के मनेरी गांव की शिरोमणि दहीकर का भी था। प्रथम स्तर पर चयन के बाद मॉडल बनाने के लिए शासन से खातें में 10 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई। जो मॉडल बनाने के लिए शासन द्वारा दी जाती है।

राशि मिली तो आइडिया को मौलिक रूप देने की तैयारी शुरू हुई

छात्रा के पिता शिवनारायण ने बताया कि नेट में सर्च करने के दौरान पता चला कि मणिपुर की विजयाशान्ति नाम महिला है जो लोटस सिल्क का काम हैंडवर्क से करती है। इस काम को मशीन के माध्यम से करने पर ही शिरोमणि के आइडिया को पसन्द किया गया और दिल्ली में चुना गया। जिला स्तर पर हुई प्रदर्शनी में स्टेट के लिए चयन हुआ था।

ऐसे करता है मॉडल काम

लोटस जिसे कमल के नाम से जाना जाता है। प्राचीन समय में कमल की डंडी जिसमें से फूल निकलता है, उसके कपड़े बनाये जाते थे। जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माने जाते थे। शिरोमणि ने पापा के मार्गदर्शन में बनाये मॉडल में एक मोटर और हाइड्रोलिक के द्वारा लोटस की लंबी व हरी डंडी में मौजूद रेशे को अलग करने की मशीन बनाने में कामयाबी मिली। जब इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर भोपाल में चुना गया तो मैनिट के विशेषज्ञ श्री अखिलेश बर्वे द्वारा मॉडल में सामान्य मोटर के स्थान पर 24 वॉट की स्टेपर मोटर लगाई गई, साथ ही लोटस की हरी डंडी को घुमाने व हटाने के लिए सेंसर, हाइड्रोलिक और आर्डिनो सेंसर लगाया गया। साथ ही इसकी प्रोग्रामिंग भी की गई।

हाइड्रोलिक से लोटस की डंडियों को स्टेपर मोटर से कनेक्ट कटर से जुड़ी प्लेट पर पहुँचाया जाता है। इसके बाद सेंसर द्वारा प्लेट से कटर के पास से गुजारा जाता है,कटर हरी डंडी को काटता है। इसके बाद उसके भीतर के रेशे एक अन्य सेंसर द्वारा अलग कर दिए जाते हैं और स्टोरेज बॉक्स में एकत्रित हो जाते है।5 लोग, dais और पाठ की फ़ोटो हो सकती है

 

दिल्ली के प्रगति मैदान पर सितम्बर में हुआ था प्रदर्शन

विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 16 से 18 सितम्बर को दिल्ली के प्रगति मैदान पर देश के 345 मॉडल्स का प्रदर्शन किया गया। जिसमें से 31 मॉडल्स को चुना गया। इसमें मप्र के विद्यार्थियों के 3 मॉडल्स चुने। इन तीन में लांजी की शिरोमणि का मॉडल भी शामिल है। प्रदेश से 10 मॉडल राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भेजें गए थे। जिला शिक्षा अधिकारी श्री एके उपाध्याय ने बताया कि 25 अक्टूबर को भोपाल में आयोजित हुए राज्य शिक्षक सम्मान समारोह में शिरोमणि को राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा सम्मानित किया गया।

 

लोटस सिल्क (Lotus Silk) दुनिया में सबसे दुर्लभ फैब्रिक में से एक है. यह कमल के तने के रेशों से बना एक विशेष कपड़ा है. ऐसा बताया जाता है कि इसका निर्माण छोटे पैमाने पर  कम्बोडिया, म्यांमार और वियतनाम में होता है. 

यह प्राकृतिक फाइबर केवल दुनिया भर में कुछ कुशल कारीगरों द्वारा निकाला जाता है. लेकिन इस रेशम को बनाना आसान नहीं है. एक स्कार्फ के लिए पर्याप्त कमल रेशम निकालने में दो महीने लग सकते हैं, और अंतिम उत्पाद की लागत नियमित रेशम से 10 गुना अधिक हो सकती है. आइये जानते हैं कि यह कैसे बनाया जाता है, और क्यों यह इतना महंगा होता है?

इसे किसने बुनना शुरू किया?

Phan Thi Thuan ने इसकी बुनाई हनोई, वियतनाम के बाहरी इलाके में शुरू की थी. तीन साल पहले, थुआन ने बुनाई में एक नया अवसर देखा. उन्होंने कमल के तने से रेशम की बुनाई की तकनीक में महारत हासिल की. तीन साल पहले थुआन ने भोजन के लिए बीज की कटाई के बाद पास के खेतों में सड़ने के लिए छोड़े गए कमल के तने में एक नया अवसर देखा.

उन्होंने लोटस सिल्क (Lotus Silk) बनाने के लिए तने में पाए जाने वाले फाइबर को निकालना शुरू कर दिया, जो फैशन डिजाइनरों द्वारा बेहद पसंद किया जाने वाला एक विशेष कपड़ा है.

लोटस सिल्क (Lotus Silk) को कैसे बनाया जाता है?

लोटस सिल्क (Lotus Silk) को बनाने का तरीका अलग है. लेकिन ये हम सब जानते हैं कि रेशम यानी Silk आमतौर पर रेशम के कीड़ों से बनता है. वे व्यापक ट्रे पर रखे जाते हैं और शहतूत के पत्तों के साथ लगभग 24 घंटे रखे जाते हैं.

कैटरपिलर अपने कोकून बनाने के लिए नाजुक रूप से धागे काटते हैं, और एक किलो रेशम बनाने के लिए सैकड़ों रेशमकीट ले सकते हैं. लेकिन जबकि कीड़ों को सावधानीपूर्वक देखभाल करने की आवश्यकता होती है, वे ज्यादातर कड़ी मेहनत खुद करते हैं.  रेशम और लोटस सिल्क (Lotus Silk) के बीच मुख्य अंतर यह है कि लोटस सिल्क (Lotus Silk) के हर एक कतरे को हाथ से निकाला जाता है.

ऐसा बताया जाता है कि लोटस सिल्क (Lotus Silk) के प्रत्येक धागे की शुरुआत कमल के फूल के तने से होती है. कमल वियतनाम का राष्ट्रीय फूल और एक ऐसा पौधा है जो पूरे देश में उगाया जाता है. एक बार जब स्टेम या तना का चयन किया जाता है और हाथ से उठाया जाता है, तो अंदर के रेशम को निकाला जा सकता है. प्रत्येक तने में पतले, चिपचिपे रेशों की एक छोटी मात्रा होती है, जिसे एक साथ रोल किया जाता है और सुखाया जाता है.

धागे को 24 घंटों के भीतर संसाधित करने की आवश्यकता होती है, जबकि वे अभी भी गीले हैं; अन्यथा, वे टूट जाएंगे और इसलिए कटाई प्रत्येक दिन करनी होती है. एक बार जब आप इन फाइबरस को निकालने की कड़ी मेहनत से गुजरते हैं, तो वे अविश्वसनीय रूप से नाजुक होते हैं. एक बार सूखने के बाद, इन थ्रेड्स को सावधानी से तौला जाता है और नाजुक रूप से hand-spooled किया जाता है. फिर उन्हें  loom में डाल दिया जाता है. 

थुआन आज लगभग 20 महिला कर्मचारियों की एक टीम का नेतृत्व करती हैं. उन्हीनें कहा 'मैं इसे अब अपने काम के रूप में देखती हूं, रोजगार उत्पन्न करने और पर्यावरण के लिए अपना काम करने के लिए, साथ ही बताया की व्यस्त अवधि के दौरान, वह घर से बुनाई के लिए 100 से ज्यादा लोगों को काम भी देती हैं.

अंतिम उत्पाद किसी भी अन्य फाइबर के विपरीत है. यह रेशम की तरह नरम, लेनिन की तरह breathable और थोड़ा लोचदार होता है. इन शानदार लक्षणों ने इसे दुर्लभ स्मृति चिन्ह की खोज करने वाले पर्यटकों के साथ लोकप्रिय बना दिया है. यह हाल ही में अंतरराष्ट्रीय फैशन ब्रांडों द्वारा नए लक्जरी फाइबर की खोज के लिए भी चुना गया है.

लेकिन इसका पैमाना सीमित कर दिया गया है, क्योंकि इन रेशम धागों के निर्माण में अभी भी कुछ ही लोग प्रशिक्षित हैं. लेकिन काम में शामिल होने के बावजूद, Phan Thi Thuan को उम्मीद है कि यह स्किल (Skill) एक दिन बड़ा उद्योग के रूप विकसित हो सकती है.

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न्यूज़ सोर्स : ipm