पंचायत अपने स्थानीय उत्पादों की बाण्ड वेल्यू बढ़ाकर सत्तत विकास लक्ष्य में हो सकती हैं सहायक
उज्जैन। मप्र जन अभियान परिषद योजना सांख्यिकी विभाग द्वारा उज्जैन में सृजन योजना अंतर्गत स्थानीय कला संस्कृति एवं स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है।सात दिवसीय मेले में प्रदेशभर के शिल्पकारों द्वारा बनाई जाने वाले शिल्प वस्त्रों,मूर्तियों एवं अन्य शिल्प कला का प्रदर्शन एवं बिक्री की गई। मेले में प्रतिदिन संध्या पर सांस्क्रतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी की गई कार्यक्रम का उद्देश्य सत्तत विकास लक्ष्य की दिशा में ग्रामों को मजबूत कर प्रकृति सम्मत विकास कार्यों से विकसित भारत का निर्माण करना है। इस कार्यक्रम में पंचमहाभूतों की रक्षा के साथ विकसित भारत की थीप पर कई वरिष्ठ चिंतक शामिल होकर अपना वक्तव्य दे चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि इसे ग्राउंड जीरो पर कैसे लागू किया जाए।
जीपीडीपी एवं विकासात्म्क विकास कार्यों की पहचान एवं प्राथमिक क्रम पर सोचें तो सरकार इस ओर ढुलमूल रवैय अपनाती हैं। किसान उत्पादन कर रहा है। स्थानीय स्तर पर कई उत्पादों का विनिर्माण भी हो रहा है इसके बाद भी बाजर तक इन उत्पादों की पहुंचन न होने से परिणाम मजबूत हों ऐसे दिखते नहीं हैं।
क्या किया जाना चाहिए ?
किसी भी वैज्ञानिक योजना की तैयारी के लिए डेटा की आवश्यकता होती है, और उसकी प्राप्ति के लिए मानव संसाधनों की । अब सरकार ये लाए कहां से ? बड़ा सवाल है, लेकिन यह संभव है कि इसका हल निकाला जा सकता है। मप्र सरकार इस को लेकर पिपुल्स प्लान अभियान भी चला रही है। ग्राम पंचायतों के लिए संवैधानिक रूप से यह अनिवार्यता किया गया है कि उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करें। और ऐसे योजनाए तैयार करें जो गरीबी उन्नन्मूलन की दिशा में हो। पर इस को लेकर पंचायतें शुन्य हैं। कई पंचायतें अलग- अलक थीम पर GPDP बना रहीं हैं लेकिन आर्थक उन्न्ति के रास्ते पर कोई ऐसे प्लान बना हो जिससे की स्थानीय स्तर पर ही रोजगार का स्थाई समाधान हो दिखता नहीं है। गरीबी मुक्त गांव,भुखमरी से मुक्त गांव,स्वच्छ व सुजल गांव,हरियाली से भरपूर गांव, प्रदूषण मुक्त गांव, शिक्षित गांव, स्वच्छ ऊर्जा युक्त गांव, महिला हितैषी, बाल हितैषी गांव एवं खासकर स्थानीय उत्पाद को बड़े बाजार तक पहुंच बनाने पर भी विचार किया जाना चाहिए।
समुदाय की विकास प्लान में सहभागिता शुन्य
प्रदेश में पंचायतों के समावेशी,सतत एवं समेकित विकास की तो बात की जाती है लेकिन इस कार्य में समुदाय की सहभागिता शुन्य है। पंचायत में गठित समितियां पंचायत की गतिविधियों में कम शामिल हैं, विशेष ग्रामसभा एवं प्रोजेक्टिव वर्क करने लायक जन प्रतिनिधियों की समझ कम है। स्वैच्छिक संगठनों को समझ नहीं आ रहा है कि पंचायत में हमारी क्या भूमिका है। ऐस में सतत विकास लक्ष्य 2030 कही छूट न जाए इस पर गंभीरता से सभी को विचार करना चाहिए।