कानपुर के नजदीक ट्रैक पर रखे रेल पटरियों के टुकड़ों से टकराकर साबरमती एक्सप्रेस के बेपटरी होने के बाद रेलवे ने ट्रैक की गश्त बढ़ा दी है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे ट्रैक की रात्रि गश्त को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि आरपीएफ के साथ-साथ ट्रैक मेंटेनर (पटरियों का रखरखाव करने वाले) पूरे वर्ष नियमित अंतराल पर दिन में और रात में गश्त करते हैं और साबरमती एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद वे और अधिक सतर्क हो गए हैं। लेकिन ट्रैक मेंटेनर्स और डिवीजनल रेलवे के अधिकारियों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि पूरे वर्ष ट्रैक की रात्रि गश्त नहीं की जाती क्योंकि इंडियन रेलवे परमानेंट वे मैनुअल में इसका प्रावधान नहीं है और ट्रैक का रखरखाव करने वाले पर्याप्त कर्मचारियों की भी कमी है।

असामाजिक गतिविधियों से रेल पटरियों को रखना होगा सुरक्षित

नार्थ सेंट्रल जोन के एक अधिकारी ने बताया कि साबरमती एक्सप्रेस दुर्घटना से पहले रात्रि गश्त नियमित आधार पर नहीं की जाती थी क्योंकि रात्रि गश्त का प्रविधान बेहद खराब मौसम के दौरान रेल ट्रैक के रखरखाव के उद्देश्य से किया गया है, न कि असामाजिक गतिविधियों से सुरक्षित करने के उद्देश्य से।

रेलवे जोन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेल संपत्तियों की संरक्षा एवं सुरक्षा आरपीएफ का दायित्व है, लेकिन वे दिन या रात में ट्रैक की आकस्मिक या नियमित गश्त नहीं करते। उपद्रवी तत्वों से पटरियों की सुरक्षा के सवाल पर विशेषज्ञों के एक वर्ग का मानना है कि सामान्य मौसम की स्थिति में भी पूरे वर्ष समूचे रेल नेटवर्क पर ट्रैक मेंटेनर्स के साथ-साथ आरपीएफ द्वारा रात्रि गश्त को अनिवार्य बना दिया जाना चाहिए, जब तक रेलवे बोर्ड कोई तकनीक आधारित हल नहीं तलाश लेता।

ट्रैक मेंटेनर्स को रात्रि गश्त में लगाया जा सकता है

ऑल इंडिया ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (एआइआरटीयू) के कार्यकारी अध्यक्ष चांद मोहम्मद ने आरोप लगाया कि 15 से 30 प्रतिशत ट्रैक मेंटेनर्स को रेल अधिकारियों ने अपने निजी कामों में लगा रखा है जिससे बाकी ट्रैक मेंटेनर्स पर काम का बोझ बढ़ गया है। उन ट्रैक मेंटेनर्स को रात्रि गश्त में लगाया जा सकता है। नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन के महासचिव एम. राघवैया ने कहा कि नए रेलवे ट्रैक तो बिछाये जा रहे हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय के प्रतिबंध के कारण नए पद सृजित नहीं किए जा रहे।

भारत रेल मार्गों के विस्तार के लिए सबसे अधिक विद्युतीकरण करने वाला देश : रेलवे

रेल मंत्रालय के अतिरिक्त सदस्य (वाणिज्य) मुकुल सरन माथुर ने शुक्रवार को कहा कि भारत रेलवे ट्रैक्स के विस्तार के लिए सबसे अधिक विद्युतीकरण करने वाला देश है। माथुर नई दिल्ली में आयोजित एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। सम्मेलन में विकसित भारत के लिए रेलवे के आधुनिकीकरण के विभिन्न मुद्दों और परिवर्तनकारी तकनीकी समाधानों पर विचार-विमर्श किया।

प्रवासियों के लिए 5,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई गई

माथुर ने रेलवे की उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि वर्तमान में रेल नेटवर्क बढ़कर 68,000 किलोमीटर हो गया है और जल्द इसकी क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि देश में हर दिन दो करोड़ लोग ट्रेन यात्रा करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रवासियों के लिए हाल में 5,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं। उन्होंने भारत में एक प्रमुख उत्पादों में वंदे भारत ट्रेनों का भी उदाहरण दिया।

रेलवे के विस्तार के लिए 85,000 करोड़ दिए गए

माथुर के अनुसार, 2023-24 में रेलवे के विस्तार के लिए 85,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे। साथ ही कहा कि रेलवे टिकटों की रिफंड प्रक्रिया कुशल हो गई है और इसमें एक-दो दिन कम हो गए हैं। एसोचैम के वरिष्ठ सदस्य और रिवर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ दीपक शर्मा ने भारत के विकसित भारत के विजन में रेलवे के आधुनिकीकरण को एक प्रमुख घटक बताया।