क्या है पेसा ऐक्ट एवं आजादी के इतने दिनों बाद अब क्यों है जरूरत ?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मध्यप्रदेश के शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में नियमावली का विमोचन कर पेसा एक्ट लागू किया। इसके साथ ही मध्य प्रदेश पेसा एक्ट लागू करने वाला देश का 7वां राज्य बन गया है। आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए बनाए गए इस एक्ट के लागू हो जाने से ग्राम सभा अब बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई है। CM Madhya Pradesh श्री Shivraj Singh Chouhan ने कहा कि 15 नवम्बर से प्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया गया है। पेसा एक्ट जनजाति के हित में जरूर है लेकिन किसी गैर जनजाति के विरोध या खिलाफ नहीं है। यह एक्ट जनजातीय समुदाय को मजबूत करने के लिये है। इस एक्ट के प्रावधान सिर्फ अधिसूचित क्षेत्रों में लिए लागू होंगे। यह एक्ट विकास की दौड़ में पीछे रह गए जनजातीय समाज को मजबूत बनाने के लिए लागू किया गया है। अब गाँव के विकास की योजनाएं भोपाल में नहीं गांव की चौपाल में तय होगी।
क्या है ‘पेसा एक्ट’?पेसा एक्ट यानि पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा अधिनियमित एक कानून है। दरअसल अनुसूचित क्षेत्र भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची द्वारा पहचाने गए क्षेत्र हैं। यह अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए विशेष अधिकार देता है। पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग 9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए एक अधिनियम है। क्यों पड़ी जरूरत?भारतीय संविधान के पांचवीं अनुसूची में शामिल क्षेत्र, जिन्हें अनुसूचित क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। संविधान के भाग IX में प्रदान किए गए भारतीय संविधान के 73वें संवैधानिक संशोधन या पंचायती राज अधिनियम द्वारा कवर नहीं किए गए थे। पेसा एक्ट को 24 दिसंबर 1996 को कुछ अपवादों और संशोधनों के साथ संविधान के भाग 9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए इसे अधिनियमित किया गया था। नियमपेसा अनुसूचित क्षेत्रों में लागू है। अनुसूचित क्षेत्र संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं। पांचवीं अनुसूची दस अनुसूचित क्षेत्र के राज्यों के राज्यपालों को बहुत महत्वपूर्ण कार्य देती है। जबकि, संवैधानिक रूप से, शासन के अधिकांश मामलों में राज्यपालों को मंत्रिपरिषद द्वारा सहायता और सलाह दी जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पेसा एक्ट को लागू किया जाएगा, पेसा एक्ट के नियमों के रूप में कार्यात्मक दिशा-निर्देश नितांत आवश्यक हैं। पेसा एक्ट की घोषणा के 15 साल बाद, 2011 में आंध्र प्रदेश पहला राज्य था जिसने नियमों को प्रकाशित किया। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र ने भी अपने पेसा नियम प्रकाशित किए हैं। देश का 7 राज्यों में लागूमध्यप्रदेश से पहले छह राज्य अपने यहां पेसा एक्ट लागू कर चुके हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र शामिल है। पेसा एक्ट लागू हो जाने से आदिवासी क्षेत्रों की ग्राम सभा अब बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई है। विकास परियोजनाओं के कारण बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण और विस्थापन के कारण अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों में बड़े पैमाने पर संकट पैदा हो गया था। पेसा इन कमजोरियों में से कई के लिए एक रामबाण के रूप में लागू हुआ है जो विकास के एक नए प्रतिमान को पेश कर रहा है। |