भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस श्री मार्कंडेय काटजू 23 दिसम्बर 2012 को भोपाल में न्यू मीडिया के क्षेत्र में न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट की अनूठी पहल मोबाईल इंडिया {मोबाईल मीडिया}   के संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया।  पर कई पत्रकारों ने अपनी बात रखी। पत्रकारिता के इस बदलते दौर में अब न रूकने वाली खबर के प्रकाशन को लेकर विचार विमर्श हुआ। 
      जानते हैं आखिर क्या है ये नया मीडिया 
परिभाषा:

कोई भी कंटेंट जो ऑडियो वीडियो और ग्राफ़िक्स के मेल से बना हो उसे हम ‘न्यू मीडिया’ कहते हैं। अगर बात करें पत्रकारों की, तो पाएंगे की यहाँ न्यू मीडिया का मतलब ब्लॉग्गिंग, सिटीजन जर्नलिज्म, सोशल नेटवर्किंग और वायरल मार्केटिंग तक ही सीमित है, पर यदि आप भी ‘सफल पत्रकार’ बनाना चाहते हैं तो आपको भी न्यू मीडिया का सही इस्तेमाल करना सीखना ही होगा।

चलिए जानते हैं इसके मुख्य प्रभाव:

  • पोर्टेबल: इसका मतलब है, इसको कहीं पर भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  • इंटर कनेक्टिविटी: इसमें ख़बरों का एजेंडा न्यूज़ रूम में बैठे संपादक या पत्रकार तय नहीं करते, यहाँ यह अधिकार ‘यूजर’ के पास चला जाता है।
  • पाठकों से संवाद: रीडर्स से तत्काल फीडबैक मिलता है और यह संवाद दो तरफ़ा होता है।
  • ख़बरों की बदलती परिभाषा: पारम्परिक मीडिया की तरह ख़बरों की परिभाषा और सीमा बदल गई है। न्यू मीडिया में यूजर अपनी पसंद से ख़बरों का चयन करता है। यही कारण है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जो खबरें नहीं बन पाती वही खबरें न्यू मीडिया में अहम हो जाती है। न्यू मीडिया के पत्रकारों को अपने यूजर के लिए हर बीट की ज्यादा से ज्यादा खबर देनी होती है।

अब बात करते हैं इसके नकरात्मक प्रभावों के बारे में:

गंभीरता और विश्वसनीयता: अफवाहों और गलत ख़बरों को बढ़ावा मिलने का खतरा, गंभीरता की कमी, पत्रकारों को मर्यादा में रहकर लिखने की पाबन्दी न होना, खबरों को सनसनीखेज बनाने की प्रवृत्ति का बढ़ना, निजता का हनन होना आदि कुछ मुख्य कारण है, जिसकी वजह से इसकी उपयोगिता पर सवाल भी वक़्त वक़्त पर खड़े होते हैं।

चालिये अब नज़र डालते है इसके चरणों पर:

  • कंटेंट क्रिएशन: यहाँ कंटेंट का एक सूत्र खुद न्यू मीडिया भी है। बहुत सी सोशल वेबसाइटें आज भी न्यू मीडिया को खबरें मुहैया करवा रही हैं। यहाँ रीडर को किस तरह से व्यस्त रखना है इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है। रियल टाइम मीडिया होने के कारण यहाँ सबसे बड़ी चुनौती यही होती है कि किस तरह से बिना गलती के कॉपी को लिखा जाए। वाक्य, पैराग्राफ और छोटी कॉपी का ध्यान आपको कॉपी लिखते समय देना जरुरी है। किसी भी खबर का सार पहले 100 शब्दों में आ जाना चाहिए। हैडलाइन और खबर के सार में अंतर नहीं होना चाहिए। हेडलाइन में इनवर्टेड कौमा का इस्तेमाल नहीं करें।
  • कंटेंट प्रेजेंटेशन: कम समय में अच्छा कंटेंट लिखना एक चुनौती भरा काम है। वेबसाइट पर अखबार की तरह लम्बी चौड़ी कॉपी लिखना आसान और सुविधा जनक नहीं होता। इसलिए बेहतर प्रेजेंटेशन के लिए कॉपी लिखने का एक अलग तरीका होना चाहिए। याद रहे, सवाल वही करिये जिनको लेकर आपके रीडर के मन में भी संशय हो। जैसे क्या हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ, जिम्मेदार कौन, अब आगे क्या हो सकता है, असर क्या होगा। किसी की भी कही बात को हम ज्यादा से ज्यादा हाईलाइट करने पर जोर दे सकते हैं।
  • कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन: न्यू मीडिया के द्वारा जो भी कंटेंट तैयार किया जाता है उसके डिस्ट्रीब्यूशन को तय करना भी बहुत जरुरी होता है। इसके डिस्ट्रीब्यूशन में सबसे बड़ा योगदान सर्च इंजन और सोशल मीडिया पर ही होता है। कीवर्ड्स और डाटा शेयर करना यहाँ बहुत अहम् हो जाता है।

इसीलिए रियल टाइम योजना बनाना बहुत जरुरी हो जाता है। न्यू मीडिया हर रोज़ बदलता है, कल इसका स्वरुप कैसा होगा इसका अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता, पर एक बात साफ़ है कि गुजरते वक़्त के साथ न्यू मीडिया न सिर्फ देश बल्कि पूरे विश्व पर अपनी पकड़ बनता जा रहा है।

न्यूज़ सोर्स : Yogendra