गैर सरकारी संगठनों की समितियों को जगह नहीं, सरकारी समितियां सक्रिय नहीं !

सरकार की सभी महत्वपूर्ण योज़नाओं का प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन पंचायतों का कार्य है, इसी उद्देश्य से जन भागीदारी से योज़ना बनाने का अभियान “सबकी योज़ना सबका विकास” का क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से हो यह निर्देश केन्द्र सरकार से हैं । इसके बाद भी मप्र की पंचायतों में निर्मित विभिन्न ग्राम विकास एवं पंचायत संमितियां शुन्य अवस्था में हैं। अपने अधिकारों से अंजान समितियों की सहभागिता एवं निष्क्रियता से न ग्राम की विकास योजना जमीनी स्तर पर बन पा रहीं हैं न ही विकास कार्यों में पारदर्शिता आ रही है।
हमारी एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार पंचायतों में भयंकर भ्रष्टाचार पनप रहा है। पंचायतों में समुदाय की भागीदारी न के बराबर होने से विकसित भारत का सपना अधूरा सा लग रहा है।
क्या होतीं हैं समितियां
किसी भी विकसित देश के निर्माण में समितियों का विशेष योगदान होता है। विकसित देशों मे ंतो सरकारी समितियों के अलावा गैर सरकारी समितियों को भी विकास एजेंडे में शामिल किया गया है।
भारत में वर्तमान में गैर सरकारी समितियों की तो बात दूर सरकार की बनी समितियां की अविकसित अवस्था में हैं। भारतीय संविधान के प्रावधानों की धज्जी उड़ाती ग्राम पंचायतें अभी भी पूराने ढर्रे पर चल रही हैं। पंचायत का पूरा कोरम सरपंच,सचिव एवं कुछ लोग मिलकर पूरा कर रहे हैं । ऐसी अवस्था में ग्राम विकास एवं गैर सरकारी समितियों का विकास एवं सहभागिता अधूरी सी लगती है।
कौन-कौन सी समितियां हैं पंचायतों में
- 1- स्थायी समितियाँ
- 2- संयुक्त समितियाँ
- 3 - भूमि प्रबंधन समितियाँ
- 4- सांख्यिकी विभाग द्वारा गठित समितियां
- स्मितियों के प्रकार एवं कार्य
- 1- नियोजन एवं विकास समिति
- 2- शिक्षा समिति
- 3- प्रशासनिक समिति
- 4- निर्माण कार्य समिति
- 5- स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
- 6- ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति
नियोजन एवं विकास समिति
इस समिति का सभापति प्रधान होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।
इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत की योजना तैयार करना होता है। साथ ही कृषि, पशु पालन और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का संचालन भी इसका महत्त्वपूर्ण कार्य है।
शिक्षा समिति
नियोजन एवं विकास समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रधान ही होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।
इसका मुख्य कार्य प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, साक्षरता आदि सबंधी कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना है।
प्रशासनिक समिति
नियोजन एवं विकास समिति और शिक्षा समिति की तरह ही इस समिति का सभापति भी प्रधान ही होता है इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है। याद रखने के उद्देश्य से समझे तो उक्त तीनों समितियों का सभापति प्रधान ही होता है।
इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत के कर्मियों सम्बन्धी समस्त विषयों की देख-रेख करना तथा राशन की दुकान सम्बन्धी व्यवस्था को देखना है।
निर्माण कार्य समिति
इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा, इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।
इसका मुख्य कार्य ग्राम पंचायत क्षेत्र में सभी निर्माण कार्य करवाना व उसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।
स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
निर्माण कार्य समिति की तरह ही इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा, इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।
इसका कार्य चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्य और समाज कल्याण विशेष रूप से महिला एवं बाल कल्याण की योजनाओं का संचालन करना है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, तथा पिछड़े वर्गों की उन्नति एवं संरक्षण सम्बन्धी कार्य भी इस समिति के द्वारा ही किये जाते हैं।
ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति
निर्माण कार्य समिति और स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति की तरह ही इस समिति के सभापति को ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा नामित किया जाता है ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य जिसे सभी सदस्यों की स्वीकृति से नामित किया जाये वह सभापति के रूप में समिति का संचालन करेगा, इसके साथ 6 अन्य सदस्य भी इसमें सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, महिला और पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य होना आवश्यक है।
इस समिति का मुख्य कार्य राजकीय नलकूपों का संचालन करना व पेयजल सम्बन्धी कार्य है।
समितियों की बैठक का कोरम
समिति की बैठक के लिए 4 सदस्यों का कोरम होगा। समिति की बैठक माह में कम से कम एक बार अवश्य होगी। समितियों के सचिव, सचिव ग्राम पंचायत ही होंगें। प्रत्येक समिति का एक कार्यवाही रजिस्टर होगा जिसमें बैठक की कार्यवाही दर्ज की जाएगी।
संयुक्त समितियाँ
इसका गठन दो या दो से अधिक ग्राम पंचायतों के विशेष कार्य के लिए प्रशासनिक अधिकारी द्वारा किया जाता है। जिसे कार्य पूर्ण होने के बाद भंग कर दिया जाता है।
भूमि प्रबंधन समिति
ग्राम राजस्व समिति (भूमि प्रबंधन समिति का गठन उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 28(क) के अंतर्गत किया जाता है। यह समिति ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि के प्रबंधन, देखभाल, संरक्षण एवं नियंत्रण का कार्य करती है। इसका अध्यक्ष प्रधान, इसका सचिव लेखपाल एवं समस्त वार्ड सदस्य इसके सम्मानित सदस्य होते हैं।
अन्य विभागों द्वारा गठित समितियाँ
समय समय पर विभिन्न विभागों के द्वारा अपने कार्यों को भली प्रकार से संचालित करने के लिए भी कई समितियों का गठन किया जाता है। जैसे- नियोजन, विकास एवं जैवविविधता प्रबंधन समिति, ग्राम पंचायत आपदा प्रबंधन समिति, ग्राम पंचायत भूगर्भ जल उप-समिति, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति, जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत पेयजल एवं स्वच्छता समिति एवं शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत स्कूल/ विद्यालय प्रबंधन समिति ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति आदि।