महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकाररी श्रीमति मनीषा लूंबा के मार्गदर्शन मे वन स्टॉप सेंटर (सखी) की प्रशासक सुश्री रचना चौधरी के द्वारा पारिवारिक झगड़े में सतत परामर्श कर मतभेद को दूर कर दांपत्य जीवन पुनः स्थापित करने मे अहम भूमिका निभाई जा रही है । इस सेंटर ने कम उम्र में हुई नादानी से एक बालिका जीवन तबाह होने से बचाया है और उसे नया जीवन प्रदान किया है। यह कहानी है लता (परिवर्तित नाम ) जो ग्रामीण परिवेश की लड़की है, जिसके परिवार में पिता की मृत्यु हो चुकी है, कोई भाई बहन नही है । लता अपनी माता के साथ अपनी नानी के घर में रहती है । कम उम्र में घर के काम, पैसे कमाने का बोझ आ जाने से लता कक्षा 10 वी तक की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात पढ़ाई छोड़ कर कमाने हैदराबाद चली गई थी। कुछ साल बाद हैदराबाद में ही लता को युवक महेश (परिवर्तित नाम) से प्रेम हो गया । चुंकि लता 19 की उम्र के उस पढ़ाव में थी कि वह महेश के प्रति आकर्षित हो गई और परिवार से बिना बताए महेश से मंदिर में विवाह कर लिया गया । कुछ महीने बाद लता जब अपने परिवार के पास वापस आई तब वह अनजान थी कि वो गर्भवती हो गई है। महेश के परिवार के बारे में भी लता को कोई जानकारी नहीं थी । एक रात जब महेश लता से मिलने उसके गांव आ रहा था तब महेश की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई । यह खबर सुनके लता पूरी तरह टूट गई थी। महेश जिसके बारे में लता कुछ नहीं जानती थी उसके बच्चे से गर्भवती है और विवाह की बात भी उसके माता पिता को नहीं पता है। ऐसी स्थिति में लता को आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नही सूझ रहा था ।

तभी लता को वन स्टॉप सेंटर सखी के बारे में पता चला। लता जो कि तीन माह की गर्भवती थी सहायता लेने पहुंची । प्रकरण की जानकारी उपरांत लता को आश्रय सहायता दी गई एवं लता का मनोबल बढ़ाने के लिए लगातार मनोवैज्ञानिक परामर्श परामर्शदाता श्रीमती खुशबू गौतम द्वारा दिया गया। केस वर्कर श्रीमती यानिया रहांगडाले, श्रीमति गायत्री स्वामी द्वारा महेश के माता-पिता के बारे में जानकारी निकालने का प्रयास किया गया। लता की माता द्वारा लता को अपने साथ रखने से मना कर दिया गया था, जिस पर लता को दीर्घकालीन आश्रय हेतु निर्भया आश्रय गृह भेजा गया। जहां निर्भया गृह की अधीक्षिका श्रीमती बेबी नंदा मेश्राम, कार्यालय सहायक प्रतिमा बघेले, परामर्शदाता श्रीमती महिमा बिसेन के द्वारा लता की गर्भावस्था के समय देखभाल की गई और उसके पोषण का पूरा ध्यान रखा गया। समय समय पर आवश्यक चिकित्सीय जांच करा कर टीके लगवाये गये ।

लता की माता को भी लगातार परामर्श दिया गया । लता ने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया । लगातार परामर्श उपरांत लता की माता द्वारा भी लता के द्वारा पूर्व में की गई गलती को माफ किया गया और लता और उसकी बेटी को साथ रखने और उसका ध्यान रखने और लता की रुकी हुई पढ़ाई पूरा करने राज़ी हो गई है । लता के कौशल विकास करने के लिए उसे शासन की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया है । लता द्वारा नादानी में पूर्व में की गई गलतियों की माफी मांगी गई है। इस तरह कम उम्र में नादानी में की गई गलती के कारण जीवन बर्बाद करने के कगार पर पहुंची लता को महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित वन स्टॉप सेंटर (सखी) एवम निर्भया महिला आश्रय गृह द्वारा वापस अपने परिवार और समाज में पुनर्स्थापित कर नया जीवन प्रदान किया गया।

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न्यूज़ सोर्स : ipm