प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पांच करोड़ 11 लाख पात्र व्यक्तियों को प्रतिमाह 26 हजार उचित मूल्य की राशन दुकानों के माध्यम से गेहूं, चावल और नमक का वितरण किया जाता हैै। इसमें किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा न हो, इसके लिए उपभोक्ताओं के आधार नंबर और बायोमैट्रिक्स लिए गए हैं। इससेे लगभग 15 लाख अपात्र के नाम सूची से बाहर हो गए। इनके नाम पर राशन का खेल हो रहा था। उपभोेक्ताओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए पाइंट आफ सेल्स मशीन दी गई हैं ताकि विक्रेता अंगूठे का निशान लेेकर संतुष्ट हो जाए। साथ ही जितना उसने राशन लिया है, उसी पर्ची भी देने का प्रविधान है। कई जगह मशीन बंद रखने और रजिस्टर में नाम चढ़ाकर खाद्यान्न देने की शिकायत भी सामने आईं। कोरोना काल में केंद्र सरकार ने प्रत्येक उपभोक्ता को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना प्रारंभ करके निश्शुल्क राशन दिया। योजना दिसंबर 2022 तक निरंतर है। कर्ई जगह से यह शिकायत आई कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना औैर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न् योजना में से एक का ही राशन दिया जा रहा है। इसके आधार पर डिंडौरी, झाबुआ और श्योपुर के अधिकारियों के विरुद्ध कार्र्रवार्ई की गई। कर्ई जगहों से शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश में दल बनाकर जांच कराने के निर्देश दिए।

भोपाल में जांच के दौरान यह सामने आया कि उचित मूल्य की दुकानों से उपभोक्ताओं को कम मात्रा में खाद्यान्न दिया जा रहा है। इसके बाद भी भंडार में खाद्यान्न् का कम पाया गया। गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद भी जांच दल के सदस्यों ने दुकानदारों को बचाने की कोशिश की। उपभोक्ताओं से संवाद ही नहीं किया। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए सरकार ने 15 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करके उनके विरुद्ध जांच प्रारंभ कर दी है। अन्य जिलों के जांच प्रतिवेदनों का परीक्षण भी कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि इनमें भी यदि गड़बड़ी सामने आती है तो वैसी ही कार्रवार्ई होगी, जैसे भोपाल में की गई है। उधर, मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि वे जिलों के प्रवास के दौरान उचित मूल्य की दुकानों का निरीक्षण करें। हितग्राहियों से फीडबैक लें ताकि वास्तविकता सामने आ जाए।

 

 

 

न्यूज़ सोर्स : ipm