मप्र में सब के मन को भा रही गाडरवाड़ा की तुअर दाल एवं करेली का गुड़
एक जिला- एक उत्पाद के अंतर्गत गाडरवारा तुअर दाल एवं करेली गुड़ एफपीओ की कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना द्वारा समीक्षा की गई। बैठक में उन्होंने एफपीओ से संबंधित कृषकों एवं स्वसहायता समूह के सदस्य से परिचय प्राप्त किया। कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना ने जिले में उत्पादित गुड एवं तुअर दाल के संबंध में एफपीओ के किसानों से जानकारी ली। किसानों ने अपने उत्पादों का भी अवलोकन कराया।
बैठक में सीईओ जिला पंचायत डॉ. सौरभ संजय सोनवणे, उप संचालक कृषि श्री राजेश त्रिपाठी, कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशुतोष शर्मा, एफपीओ गाडरवारा एवं करेली के कृषकगण, आजीविका मिशन की पूजा शक्ति एफपीओ की महिला सदस्य मौजूद थी। उप संचालक कृषि ने जिले में एफपीओ द्वारा गाडरवारा तुअर दाल एवं करेली गुड की प्रगति को पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गत वर्ष जिले में 30 हजार 800 हेक्टर में अरहर लगाई गई थी, जिसमें लगभग 50 हजार मी. टन का उत्पादन प्राप्त हुआ। इसमें से लगभग 25 हजार मी. टन दाल का व्यापारियों द्वारा देश के उत्तरप्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के अलग- अलग स्थानों पर विक्रय किया गया।
इसी तरह जिले में करीब 65 हजार हेक्टर में गन्ना लगाया जाता है। जिले में लगभग 3 हजार गुड़ भटिटयां संचालित हैं। इनमें 2.40 लाख मी. टन गुड़ का उत्पादन होता है। साथ ही 1.50 मी. टन जिले की मंडियों में विक्रय किया जाता है। जिले में गुड़ का लगभग 750 करोड़ रुपये का व्यवसाय है।
करताज के कृषक श्री राकेश दुबे ने बताया कि वे अपनी 30 एकड़ भूमि में गन्ना की खेती करते हैं। सभी फील्ड का एमपी सोका एवं एपिडा में जैविक प्रमाणीकरण है। वे कुशल मंगल फार्म के नाम से अपने उत्पाद की बिक्री करते हैं, जिसमें से सऊदी अरब, सिंगापुर, मॉरिसस एवं स्विटजरलैंड में गत वर्ष लगभग 70 मी. टन गुड़ का एक्सपोर्ट किया था। इसके अतिरिक्त देश के कुछ शहरों में भी उनके उत्पाद को बिक्री के लिए ट्रेडर्स से आर्डर मिलता है। इसके साथ ही वर्तमान में इनकी बेटी आईटीसी कंपनी में एफपीओ की मार्केटिंग का कार्य कर रही हैं। कलेक्टर ने उप संचालक कृषि को निर्देशित किया कि वे जिले के सभी एफपीओ के इच्छुक किसानों को आईटीसी एक्सपर्ट के माध्यम से वर्कशाप का आयोजन कर प्रशिक्षण दिलायें।
करेली के कृषक श्री रविशंकर रजक ने बताया कि वह विगत 10 वर्षो से पूर्णत: प्राकृतिक खेती करते हैं तथा एक भट्टी का गुड बनाते हैं। एफपीओ के अन्य कृषक सदस्यों ने भी अपने- अपने उत्पादों की जानकारी दी।
बैठक में आगामी माह में देश- विदेश की नामी कंपनियों को बुलाकर जिले में ट्रेड फेयर/ बिजनेस मीट कराने का सुझाव रखा गया, जिससे कृषकों को एक प्लेटफार्म उपलब्ध हो सकेगा और उनके बिजनेस के लिए पूंजी भी मिल सकेगी। उप संचालक कृषि ने बताया कि आईएसईडी संस्था द्वारा इसकी कार्य योजना तैयार की जा रही है। आगामी माह में पूर्ण तैयारी के साथ बिजनेस मीट कराया जाना प्रस्तावित है।
कृषकों द्वारा बताया गया कि वर्तमान में जिले के अगल- अलग किसानों द्वारा अलग- अलग नाम से ब्रांडिंग कर अपने उत्पाद की बिक्री की जा रही है। कलेक्टर ने जिले के लिए सभी की सहमति से "नर्मदा नेचुरल्स" ब्रांड के नाम से मार्केटिंग करने का सुझाव दिया। इसके लिए चिन्हित कृषकों का एक समान गुणवत्तायुक्त उत्पाद तैयार कर क्वालिटी प्रोडक्ट एवं क्वालिटी पैकेजिंग करते हुए मार्केटिंग करने के निर्देश उप संचालक को दिये गये।
जिले में गुड उत्पादक किसानों द्वारा अगल- अलग लिंक का उपयोग कर ऑनलाइन मार्केटिंग की जा रही है। इस लिंक को जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया, जिससे ब्रांडिंग को प्रोत्साहन मिल सके और देश- विदेश के ट्रेडर्स आकर्षित हों। इससे जिले के प्रोडक्टस की अधिक कीमत मिल सकेगी।
कलेक्टर ने जिले के प्राकृतिक/ जैविक खेती कर रहे कृषकों को एफपीओ से जोड़ने और उनके उत्पाद का ब्रांड प्रमोशन करने के लिए "नर्मदा नेचुरल्स" ब्रांड का उपयोग करने की बात कही गई। आवश्यकतानुसार एक्सपर्ट के माध्यम से जिले में एक अच्छा ब्रांड स्थापित हो सकेगा।वैज्ञानिक डॉ. आशुतोष शर्मा ने जिले में जीआई टैग के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए जिले की गाडरवारा तुअर दाल, बरमान के भटे और करेली गुड़ का चयन किया गया है। इनमें से दाल व बरमान भटा में अभी तक किए गए कार्यो की प्रगति से अवगत कराया।