नक्सलियों के गढ़ में आठ हजार महिलाओं के जत्थे के साथ बेटों को नशे से बचाने संघर्ष कर रहीं एक माॅं
आज हम बेटियों को तो बचाने की बात करते हैं लेकिन बेटे नशें में बेटियों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं। इस बात को जहन में उतारकर मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले की लांजी तहसील में एक मां अनूठा अभियान चला रही है। इसका नाम है। "नशा हटाओ, बेटा बचाओ। उनके इस अभियान से छह साल में 50 गांवों की आठ हजार महिलाएं जुड़ चुकी हैं। इससे प्रेरणा लेकर छह सौ से ज्यादा युवाओं ने नशा छोड़ दिया है। यह मां हैं 39 वर्षीय जिला पंचायत सदस्य ज्योति ईश्वर उमरे। वे बताती हैं कि सरकार बेटी बचाओ अभियान चला रही है। इसका सकारात्मक असर हुआ है लेकिन बेटों को लेकर परिवारजनों का कोई ध्यान नहीं है। अधिकांश गांवों में हालत यह है कि बेटों को शाम और रात के बाद घर से कहीं भी आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं है। नतीजा यह है युवा पीढ़ी नशे की आदी होने लगी है। अगर किसी परिवार में बेटा नशा करने लगता है तो रोजगार करने वाला कोई नहीं रहता है और उस परिवार की हालात बिगड़ने लगती है। इसीलिए 2016 से बेटा बचाओ अभियान की शुरुआत की गई। युवाओं की माताओं को अभियान से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हें प्रेरित किया कि वे घर में इस तरह का माहौल बनाएं कि बेटे नशे से दूर रहें। उन्हें नशे की बुराइयों से भी अवगत कराया जाता है।
गांवों में रैली से किया जा रहा जागरूक:
ज्योति के अनुसार, इस अभियान के तहत गांवों में रैली भी निकाली जाती है। जिस गांव में रैली निकाली जाती है, उससे पहले गांव की महिलाओं को प्रेरित करके उन्हें रैली में शामिल करते हैं। प्रारंभ में महिलाओं को समझाने में समस्या आई लेकिन अब अभियान से हजारों महिलाएं जुड़ गई हैं। अब ये अभियान समीपी राज्य महाराष्ट्र के गोंदिया जिले तक पहुंच गया है।
गांव-गांव में जुड़ रहीं महिलाएं:
दुलापुर गांव की संगीता धुवारे बताती हैं कि जब पहली बार उनके गांव में रैली निकाली गई थी तो वे खुद शामिल हुईं थीं। बेटे को नशे से बचाओ अभियान अच्छा लगा। मैंने अपने बेटे को इसके संबंध में बताया जिससे प्रेरणा लेकर उसने नशे को छोड़ दिया। हमारे गांव की सौ से अधिक महिलाएं इससे जुड़ चुकी हैं। बिसोनी गांव की गीता तरोने इस अभियान से 2018 से जुड़ी हैं। वे कहती हैं कि इस अभियान से सभी महिलाओं को जुड़ना चाहिए। इससे आज की युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में आने से बचाया जा सकता है। अभियान का असर युवा पीढ़ी पर दिख भी रहा है।
छह साल से क्षेत्र में बेटे को नशे से बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। इससे क्षेत्र में महिलाएं जुड़कर अपने बेटों को नशे से दूर रहने सलाह देती हैं। इसका श्रेय ज्योति उमरे को जाता है। उनका यह अभियान प्रभावी है।
- रंजीत सिंह ताराम, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत लांजी, जिला बालाघाट
भाजपा दे सकती है विधायक के लिए मौका
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ {RSS} एवं मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से बेहद करीबी संबंध रखने वाली ज्योति उमरे के कार्य की भनक भाजपा संगठन तक पहुंच गई है। ज्योति के कार्य को देखकर संगठन लांजी क्षेत्र से विधायक के लिए भाजपा का टिकट ज्योति को मिल सकता है। ऐसा इस लिए भी की ज्योति को कोई दल टिकट दे या न दे लांजी के हर गली.गली में ज्योति की ज्योत जग चुकी है। इस लिए संभावना जताई जा रही है कि भाजपा वंशवाद से निकालने इस विधानसभा सीट पर ज्योति पर दाव लगा सकती है।