विनेश फोगाट ने बीते मंगलवार गोल्ड मेडल की उम्मीद जगा कर पूरे भारतवर्ष का दिल जीत लिया था. विनेश पहले ही राउंड में डिफेंडिंग ओलंपिक चैंपियन, जापान की युई सुसाकी को हरा चुकी थीं. मगर कौन जानता था कि 24 घंटे के भीतर ही विनेश और 140 करोड़ भारतवासियों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा? दरअसल विनेश 50 किलोग्राम भारवर्ग कुश्ती स्पर्धा के फाइनल में पहुंच चुकी थीं और उन्हें गोल्ड जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. मगर रातों-रात आखिर विनेश का वजन कैसे बढ़ गया और खूब सारा अभ्यास करने के बाद भी वो वजन को नियंत्रित क्यों नहीं कर पाईं.

क्या कहता है नियम और क्यों हुआ डिसक्वालीफिकेशन?

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) का नियम कहता है एक एथलीट को 2 बार वजन करवाना होता है. यदि ये एथलीट वजन नहीं करवाता है या उसका वजन तय मानक से अधिक पाया जाता है, तो उसे अयोग्य घोषित करार दिया जाएगा. उसे पूरी प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा, कोई मेडल नहीं दिया जाएगा और ना ही कोई रैंक प्रदान की जाएगी. इसलिए विनेश अब पेरिस ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने के बावजूद कोई मेडल नहीं जीत पाएंगी.

नियमों की ही बात कर रहे हैं तो बताते चलें कि एक पहलवान को अपने पहले मैच के दिन सुबह वजन करवाना होता है. मगर पहले दिन होने वाले इस वजन से पूर्व एथलीट को मेडिकल जांच भी करवानी होती है. यह वजन की प्रक्रिया 30 मिनट की होती है और इस दौरान एक एथलीट को कई बार वजन करवाने की अनुमति है. वहीं दूसरे दिन होने वाले मैच की सुबह दूसरी बार वजन करवाया जाता है और इस बार पहलवान को वजन नियंत्रण में लाने के लिए 15 मिनट का समय मिलता है.

 विनेश फोगाट के लिए 50 किलोग्राम कैटेगरी में वजन को नियंत्रित कर पाना हमेशा से मुसीबत का सबब बना रहा है. उन्होंने 2022 कुश्ती वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी 53 किलोग्राम कैटेगरी में भाग लिया था, लेकिन उसके बाद 50 किलो भारवर्ग में लड़ती रही हैं. उन्होंने पटियाला में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बॉस इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में ट्रायल के दौरान अपना वजन बढ़ाया था. विनेश का सामान्य वजन आमतौर पर 55-56 किलो होता है और कम्पटीशन के समय उन्हें इसे 50 किलो पर लाना होता है. वजन कम करने की प्रक्रिया के दौरान वो खूब सारा पसीना बहाती हैं, लेकिन अपने सामान्य वजन को नियंत्रण में रखना उनके लिए काफी मुश्किल काम प्रतीत होता आया है.

 UWW का नियम कहता है कि एक एथलीट को दोनों दिन वजन को तय मानक के भीतर रखना होता है. चूंकि ओलंपिक्स में होने वाली कुश्ती प्रतियोगिता 2 दिन तक चलती है, इसलिए विनेश को दोनों दिन अपना वजन 50 किलो या उससे कम रखना था. पहले दिन उनका वजन सही था, लेकिन दूसरे दिन वजन बढ़ा हुआ पाया गया. ऐसे में नियमानुसार यदि कोई एथलीट पहले दिन का वजन करवाने के बाद चोटिल हो जाता है तो उसे दूसरे दिन वजन करवाने की आवश्यकता नहीं होती और उसे प्रतियोगिता से निष्कासित भी नहीं किया जाएगा. अगर विनेश के साथ चोट का कोई एंगल नहीं जुड़ा था, इसलिए उन्हें डिसक्वालीफाई कर दिया गया है.

 नियमानुसार विनेश यदि पहले दिन का वजन सही पाए जाने के बाद चोटिल हो जातीं तो उनके पिछले मैचों के परिणामों को रद्द नहीं किया जाता. चोटिल होने के बाद उन्हें दूसरे दिन वजन करवाने की जरूरत नहीं पड़ती और उनके फाइनलिस्ट होने के फैक्ट पर कोई सवाल भी नहीं उठाया जाता. ऐसे में चोटिल पाए जाने पर विनेश को सिल्वर मेडल दिया जाता.

एक ही दिन में कैसे बढ़ सकता है 2 किलो वजन?

यह भारतीय फैंस और कुश्ती जगत के लिए रहस्य बना हुआ है कि आखिर पहले दिन वजन सही पाए जाने के बाद विनेश का वजन कुछ ही घंटों के भीतर 2 किलो तक कैसे बढ़ गया? वजन कम करने के लिए आमतौर पर एथलीट कार्बोहाइड्रेट फूड प्रोडक्ट का सेवन नहीं करते, ज्यादा पानी नहीं पीते और खूब सारा अभ्यास करते हैं. वजन कम करने का सबसे आसान तरीका शरीर को कम पानी प्रदान करना होता है, इस कारण उन्हें पसीने की राह शरीर से पानी निकालते हुए देखा जाता है.

विनेश फोगाट के केस पर नजर डालें तो पहले दिन उनका वजन 50 किलो पाया गया था, लेकिन अगले दिन उनका कम किया हुआ वजन वापस आ गया था. उन्होंने दूसरे दिन वजन करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले सारा समय अपने शरीर को इसी प्रक्रिया के लिए तैयार करने में बिताया था, इसके बावजूद उनका वजन कुछ ग्राम अधिक पाया गया.

2 लोग और वह टेक्स्ट जिसमें 'इंडियादीवी www. indiatv.in विनेश फोगाट ने कुश्ती से लिया संन्यास माँ कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ़ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024 आप सबकी हमेशा ऋरणी रहूँगी माफी'' लिखा है की फ़ोटो हो सकती है

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