संचार कुलगुरु से पत्रकारिता के सामुदायिकरण की उम्मीद

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्व विद्यालय में सर्वेच्च पद के नाम को कुलगुरू करने के साथ ही पत्रकारिता के ज्ञानवादी सोच को जमीन पर उतारने जमीन से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार विजय मोहन तिवारी को विवि का कुलगुरु नियुक्त किया है।
इस घोषणा के बाद कुलगुरु के एक भावुक पत्र से प्रदेश के संवेदनशील पत्रकारों में पत्रकारिता की रणभूमि में पत्रकारिता के कार्यों लक्ष्यों एवं कर्तव्यों की विवेचना करने का मौका मिला है। वर्तमान समय में जो पत्रकारिता का स्तर एवं नये संचार माध्यमों से पत्रकारिता की अकुशल फोज खड़ी हो रही है आशा है पत्रकारिता के कुलगुरू पत्रकारिता के ज्ञान केन्द्र से इस ओर प्रकाश डालकर मानवीयता एवं लोकतांत्रिक परंपराओं को बचाने का मार्ग प्रदान करेंगे।
पत्रकारिता का सामुदायिकरण एवं स्थिति
वर्तमान में स्क्रीन पर डिजिटल माध्यमों से पत्रकारिता का सामुदायिकरण तो हुआ है किंतु ज्ञानपरख पत्रकारिता के बदले पत्रकारिता में गंदगी भरती जा रही है। पत्रकारिता की कला को फुहड़पन एवं लाभ कमाने का माध्यम बनाकर पत्रकारिता सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों को खोती जा रही है।
सामाजिक सरोकारों की व्यवस्था को दहलीज तक पहुंचाने एवं शासन जनहितैशी नीतियों,योजनाओं को पहुंचाने वाले कम हैं। समाज के सबसे नीचले तबके को विकसित भारत के लक्ष्य अनुरूप समावेशी तरह से उठाने सार्थक भूमिका का निर्वहन करने वाले पत्रकारों की कम संख्या चिंता का विषय बनी हुई है।
पत्रकारिता पर आर्थिक उदारीकरण का प्रभाव
वर्तमान समय में पत्रकारिता का स्वरूप बिल्कुल बदल गया है,बदला नहीं है तो पत्रकारिता का प्रस्तुतिकरण। पत्रकारिता की शिक्षा में युवा एक ग्लैमर के तौर पर आ रहे हैं,पत्रकारिता सामाजिक बदलाव की मुददा न बनकर सूचनाधर्मी बनती जा रही है। पत्रकारिता में गाॅव-खेत ,खलियान,कला एवं संस्कृति एवं संस्कारों का कम समावेशन एवं पत्रकारिता का व्यवसायिक दृष्टिकोण पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारी से भटका रहा है। सोशल मीडिया एवं पत्र-पत्रिकाओं का पंजीयन मारकर पत्रकारिता को विज्ञापन पाने का कमाउ व्यवसाय बना लिया है। पत्रकारिता एक विकसित पेशा तो बनती जा रही है लेकिन प्रवृति एवं वृति को सोचने एवं समझने की आवश्यकता है।
पत्रकारिता के कुशल साधकों की दरकार
पत्रकारिता के मंदिर से नये कुलगुरू से यही उम्मीद है कि वे पत्रकारिता को सिर्फ किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रखते हुए मीडिया हाउसों तक तो स्टूडेंटस को पहुंचाएंगे ही पत्रकारिता को कला एवं साधना से जोड़ते हुए सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुददों को उठाने गाॅव-कस्बों,खेत-खलियानों तक भी अपने विद्यार्थियों को पहुंचाने वाले नवाचारी प्रयास करेंगे। इस लेख का मेरा उददेश्य पत्रकारिता की सिर्फ डिग्री परंपरा को लागू करना नहीं है, मैने इस लेख में यह बताने का प्रयास किया है कि पत्रकारिता वस्तुनिष्ठ बने एवं अपना कर्म विश्वासपात्रता के साथ करें।
यह लेख मैने वरिष्ठ पत्रकार एवं कुलगुरू विजय मोहन तिवारी जी के साथ अपनी पत्रकारिता की शिक्षा के दौरान विभिन्न मीडिया संस्थानों में उनसे मिले अनुभव के अनुसार उम्मीद भरे कण्ठ से लिखा है। आप से उम्मीद है आप हमारा हमेंशा हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे एव हम जैसे पत्रकारों जो की सामाजिक सरोकारों एवं सामुदायिक विकास के लिए संघर्ष कर रहे हैं उन्हे पत्रकारिता के उत्तरदायित्व का पाठ पढ़ाते रहेंगे।
आपका विद्यार्थी - योगेन्द्र पटेल - बधाई -शुभकामनाएं