500 वर्ग किलोमीटर में बाघों का बसेरा
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 4 साल में टाइगर दोगुने हो गए हैं। 2018 की गणना में 124 थे, जो अब 220 हैं, जबकि इस बीच यहां 40 टाइगर की मौत हो चुकी है। अभी ताजा आंकड़े नहीं आए हैं, लेकिन बांधवगढ़ पार्क में 185 वयस्क टाइगर कैमरे में कैप्चर हो चुके हैं। अन्य 35 से ज्यादा की मौजूदगी के निशान मिले हैं। इसलिए इनकी संख्या 220 है। इनमें से करीब 70 टाइगर पार्क से बाहर निकल चुके हैं। इनके बाहर होने से बांधवगढ़ से लेकर कान्हा, पेंच और संजय टाइगर रिजर्व तक 500 वर्ग किमी क्षेत्र में टाइगर कॉरिडोर बन गया है। पूरे इलाके में हर जगह टाइगर हैं।
टाइगर की क्षेत्रफल के हिसाब से संख्या को लेकर 2018 में उत्तराखंड का जिम कार्बेट नेशनल पार्क पहले नंबर पर था, लेकिन इस बार बांधवगढ़ का नंबर-1 आना तय है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के रेंज ऑफिसर रंजन परिहार बताते हैं कि हमारे ताला की झूमरी नाम की बाघिन तकरीबन 300 किमी दूर छत्तीसगढ़ के अचानकमाल के जंगल में है। यानी हमारे बाघों के लिए जगह कम पडऩे लगी है। इसलिए हमने 2500 वर्ग किमी एरिया बढ़ाने की योजना बनाकर सरकार को दी है।
टाइगर रिजर्व में पहाड़ी क्षेत्र और कई गुफाएं हैं, जिनमें 6 महीने तक बाघिन अपने बच्चों को सुरक्षित और छिपाकर रख लेती है। यहां अधिकांश एरिया ऐसा है जहां लोगों की आवाजाही बिलकुल नहीं है। पहाड़ पर बेहतर गुफाएं हैं और पानी के लिए पहाड़ी पर प्राकृतिक 12 तालाब हैं। पानी का सोर्स बहुत बेहतर है। सबसे अच्छा पानी का सोर्स 3 किलोमीटर में माना जाता है लेकिन बांधवगढ़ में 2 किलोमीटर पर है। हमारे पास 450 जल स्त्रोत हैं। 85 हजार चीतल बाघ का नैचुरल फूड हैं। बांधवगढ़ में 165 किलोमीटर की 11 केवी की इलेक्ट्रिक लाइन है। हमारे पास 738 लोगों का नियमित स्टाफ है। इसके अलावा एक हजार लोग अनियमित हैं। हम 5-5 किलोमीटर का एरिया बांटकर रातभर पेट्रोलिंग करते हैं।