तेंदूखेड़ा। 28 सितंबर की सुबह 45 दिन के मासूम बच्चे को स्वजन तेंदूखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे। उनका कहना था कि बच्चे को एक दिन पूर्व वैक्सीन लगी थी, रात से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और सुबह जब उठा नहीं, तो हम लोग बच्चे को तेंदूखेड़ा स्वस्थ केंद्र लेकर आए, जहां डॉक्टरों ने उसको मृत बता दिया।

मृत बच्चे की मां, दादी और पिता बच्चे की मौत के लिए वैक्सीन को जिम्मेदार बता रहे थे। उनका कहना था कि वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई है। बच्चे के माता-पिता और स्वजन की शिकायत तेंदूखेड़ा टीआई ने सुनी और उनकी मांग पर पोस्टमार्टम कराने का फैसला हुआ।

अब पीएम रिपोर्ट आई तो साफ हुआ है कि बच्चे की मौत का कारण वैक्सीन नहीं, बल्कि मां का पिलाया हुआ दूध था, जो बच्चे के फेफड़ों में फंस गया और सांस न लेने के कारण उसकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आई ये बातें

  • 27 सितंबर को बच्चे को वैक्सीन लगी थी और 28 सितंबर की सुबह 45 दिन के बच्चे को परिवार के लोग मृतक अवस्था मे तेंदूखेड़ा समुदायक केंद्र लेकर आये थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चे की मौत का कारण फेफड़े में दूध फंसना आया है।
  • तेंदूखेड़ा सीबीएमओ डॉ. आरआर बागरी ने बताया कि मां ने रात्रि दो बजे के करीब बच्चे को दूध पिलाया था। उसके कुछ देर बाद ही बच्चे की मौत हो गई थी। उसके फेफड़ों मे दूध फंस जाने के कारण सास नली बंद हो गई थी।
  • परिवार के लोग समझे बच्चा सो गया है, किन्तु जब उसे चार बजे के करीब उठाया तो वह नहीं उठा। उसके बाद स्वजनों को पता चला कि बच्चे की मौत हो गई और उन्होंने वैक्सीन लगाने के बाद तबीयत बिगड़ने की बात कही थी।
  • बच्चे को दूध पिलाते समय बरतें ये सावधानियां

    मामला सामने आने के बाद डॉक्टरों ने महिलाओं से अपील की कि हमेशा बच्चे को दूध गोदी में लेकर पिलाएं और उस समय बच्चे का सिर ऊपर रखें। मृतक बच्चे की मां ने जिस दिन वैक्सीन लगी, उस रात दो बार दूध पिलाया था। दोनों बार बच्चे को पलंग पर लेटकर दूध पिलाया गया, जो उसके फेफड़ों में फंस गया।

    माताओं से सीबीएमओ ने कहा है कि छोटे बच्चों को कभी भी लिटाकर दूध ना पिलाएं। इसकी जानकारी एएनएम हमेशा देती हैं।

न्यूज़ सोर्स : Agency