हमारे हैंडीक्राफ्ट की नींव है गाँवों में बैठी मेरी हस्तशिल्पी बहनें
राजस्थान में 22 हजार महिलाओं को रोजगार देने वालीं रूमा देवी ने अब छेड़ी तगड़ी मुहिम
5 साल की उम्र में मां को खोया। दादी के पास रहकर पली-बढ़ी। कई किमी दूर से बैलगाड़ी पर पानी ढोया। आठवीं तक ही पढ़ पाईं। बेइंतेहा गरीबी देखी। पाई-पाई को मोहताज हुईं और बाल विवाह तक का दंश झेला, मगर आज हजारों महिलाओं की तरक्की की उम्मीद बन चुकी हैं। नाम है रूमा देवी।
सामाजिक कार्यकर्ता और अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प डिजाइनर डॉ. रूमा देवी कहती हैं कि उनके एनजीओ के ट्रेनर रूपेश कुमार, मोहन लाल व राघाराम बालोतरा व बाड़मेर की गांव-गांव ढाणी-ढाणी जाकर महिलाओं को डिजिटल साक्षर कर रहे हैं ताकि वे अपने उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री कर सके। उन्हें ऑनलाइन पेमेंट प्राप्त करने की बेसिक जानकारी हो सके।