सिर्फ भूमिपूजन एवं फीता काटने वाले लीडर्स को अब ना बाबा ना...
इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जहां राजनीति का आधार शिक्षा, वैज्ञानिक सोच, बराबरी का व्यवहार और जन कल्याण होना चाहिए था,वहां स्वतंत्रता की तीन चौथाई सदी के बाद भी धार्मिकता, जातीयता, साप्रदायिकता और क्षेत्रीयता का ही बोलबाला है। राजनीति के इन स्थायी हो चुके आधारों का विश्लेषण करना वर्तमान परिस्थितियों में जरूरी हो गया है।
इसी बात को ध्यान में रख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कार्यकाल में राजनीतिक बदलाव को लेकर बड़ी पहल करने जा रहे हैं। इस कार्य की शुरूआत वे पंचायतों से करते दिख रहे हैं। अपने विश्वासपात्र सहयोगी मप्र के वर्तमान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल को मप्र से आत्मनिर्भर मप्र के रूप में विकसित करने पावर प्रोजेक्ट के रूप में यह कार्य करने का जिम्मा सौंपा गया है।
पंचायतों के समावेशी विकास एवं आत्मनिर्भर बनाने में तकनीक का उपयोग अति आवश्यक है, इसी बात को ध्यान में रख कई देशों में प्लानिंग एवं मैनेजिंग का कार्य कर रही जर्मनी की संस्था को मप्र में विकास कार्यशालाओं में विकास नीति को प्रजेंट करने एवं आत्मनिर्भर मप्र के निर्माण में सहयोग हेतु आमंत्रित किया जा रहा है। पंचायत विभाग चाहता है कि अब पंचायते सिर्फ उपर के पैसे पर ही निर्भर न रहें स्वयं राजस्व जनरेट करने नये -नये प्लान करें।
जर्मन विकास एजेंसी की आवश्यकता क्यों?
The Deutsche Gesellschaft für Internationale Zusammenarbeit (GIZ) एक जर्मन विकास एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करती है। GIZ मुख्य रूप से संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (BMZ) की तकनीकी सहयोग परियोजनाओं को लागू करने अहम रोल अदा करती है। इस संस्था का कार्य सरकार के साथ गैरलाभकारी संस्थाओं को जोड़कर सतत विकास का पालन कराते हुए सामाजिक समावेश और पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करना है। GIZ प्रबंधन परामर्श, ग्रामीण विकास, सतत बुनियादी ढाँचा, सुरक्षा और शांति-निर्माण, सामाजिक विकास, शासन और लोकतंत्र, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक विकास और रोजगार सहित कई क्षेत्रों में परामर्श और क्षमता निर्माण सेवाएँ प्रदान करना इस संस्था का कार्य है।
पंचायतों में अब झांसा देने वालों की छुटटी
मप्र की पंचायतों में विभिन्न तकनीकी संस्थाओं के सहयोग से सबसे पहले पंचायत को सिस्टम में अपडेट किया जा रहा है। विभाग प्रयास कर रहा है कि पंचायतों का ऐसा डेटाबेस तैयार किया जाए जिससे कि वहां विकास की संभावनाओं की तलाश की जा सके। इस कार्य के लिए विभिन्न विकसित देशों के गैरलाभकारी संगठनों का सहयोग लिया जा रहा है। इसी कड़ी में प्रदेश की पंचायतों पात्रता ऐप को लांच किया गया है। इस ऐप के माध्यम से अब सरकारी दफ्तरों में योजनाओ से संबंधित सामान्य जानकारी के लिए चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देने वाले सक्रिय लोगों से भी छुटकारा मिल जाएगा।
फिलहाल 10 विभागों की 37 प्रकार की योजनाओं की जानकारी "पात्रता एप" में शामिल है । जल्दी ही सभी विभागों की योजनाओं को "पात्रता" ऐप पर लाया जाएगा और इसे सभी विभागों की वेबसाइट से जोड़ा जाएगा।सबसे ज्यादा योजनाओं की जानकारी श्रम और स्वास्थ्य विभागों की है। इसके अलावा जनमन आवास और व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की भी जानकारी एप में है।
पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने श्रम कल्याण के लिए काम कर रहे हैं संगठनों , संस्थाओं और पंचायत राज प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वे एक सुलभ संदर्भ के रूप में "पात्रता" एप का उपयोग कर अपने संपर्क में आने वाले सामान्य नागरिकों को योजनाओं की जानकारी दें।
"पात्रता" एप का उपयोग कैसे करें?
"पात्रता" एप का उपयोग लॉगिन करके या बिना लॉगिन करके किया जा सकता है। इसे गूगल एप स्टोर से डाऊनलोड किया जा सकता है। इसमें निर्धारित 10 सामान्य जानकारी देने पर संभावित योजनाओं के संबंध में पात्रता की जानकारी मिल सकेगी है। इसमें योजना से संबंधित कार्यालय का पता और ईमेल दोनों दिए गए हैं। एप्लीकेशन में पात्रता के मापदंड दिए हैं और लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज की सूची दी गई है। योजना के क्या लाभ होंगे इसकी भी संक्षिप्त जानकारी है।
सबसे बड़ी सुविधा इसमें आवेदन का एक प्रारूप भी दिया गया है। योजना से संबंधित विभाग का पता, विभाग के कार्यालय का पता संबंधित अधिकारी का नाम और कार्यालय का शासकीय ईमेल दिया गया है। इसके माध्यम से आवेदन भी संबंधित कार्यालय को पहुंच जाएंगे। इसके बाद संबंधित विभाग आवेदकों से संपर्क करेगा। उनके पात्रता संबंधी दस्तावेज का सत्यापन होगा और उसका निराकरण हो जायेगा।
"पात्रता" एप का उपयोग करने वालों की संख्या गांवों में लगातार बढ़ रही है। अब तक 36 हजार नागरिकों ने इसका उपयोग किया हैं और 15 हजार से ज्यादा लोगों ने इसे डाउनलोड किया है। उपयोगकर्ताओं ने "पात्रता" ऐप की समीक्षा करते हुए इसे अत्यंत उपयोगी बताया है।
लेखक - योगेन्द्र पटेल. सामाजिक.राजनीतिक विश्लेषक हैं। भोपाल के नवभारत,नई दुनिया,देशबंधु,दैनिक भास्कर डिजिटल ,ईएमएस न्यूज एजेंसी,राष्टीय हिन्दी मेल, महर्षि वर्ल्ड मीडिया समूह ,श्री विश्व समर्थ विलेज फाउंडेशन ,ग्रामोजन फाउंडेशन, अनेकों डिजिटल चैनलों में संपादन , उप संपादक से लेकर जनसंपर्क अधिकारी की भूमिका में रह चुके हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से मास कम्युनिकेशन में मास्टर है।