नोएडा की उद्यमी समीक्षा गनेरीवाल ने प्लास्टिक प्रदूषण रोकने बनाया कम्पोस्टेबल कागज की बोतल
नोएडा की उद्यमी समीक्षा गनेरीवाल ने प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए 100% कम्पोस्टेबल कागज़ी बोतलें बनाने वाला स्टार्टअप ‘कागज़ी बॉटल्स’ शुरू किया। MBA करने के बाद कई कंपनियों में काम करने वाली समीक्षा ने 2018 में इको-फ्रेंडली पैकेजिंग का सपना साकार किया। ये बोतलें पूरी तरह प्लास्टिक फ्री और सस्ती हैं, जो शैंपू, लोशन जैसे उत्पादों की पैकेजिंग के लिए उपयुक्त हैं। फिलहाल उनकी कंपनी हर महीने 2 लाख बोतलें बना रही है। पर्यावरण को बचाने की इस अनोखी पहल के साथ वह देशभर में अपनी पहचान बना रही हैं।
प्लास्टिक का विकल्प
साल 2018-19 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना 33 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। ‘कागज़ी बॉटल्स’ की फाउंडर समीक्षा गनेरीवाल को सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प खोजने का विचार पहली बार तब आया, जब वह एक कॉलेज प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए 38 साल की समीक्षा ने कहा, “अपने कॉलेज के दिनों में मैंने प्लास्टिक की थैलियों को बदलने के लिए एक प्रोजेक्ट पर काम किया था, लेकिन तब प्लास्टिक का कोई दूसरा विकल्प था ही नहीं।”
समीक्षा गनेरीवाल ने कहा, “मैं हमेशा इस बारे में सोचती रही, क्योंकि मैं अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहती थी, लेकिन कोई विकल्प ढूंढ नहीं पाई और बस तभी मैंने इस दिशा में कुछ करने का फैसला किया।” हालांकि, प्लास्टिक पैकेजिंग का विकल्प तैयार करने का उनका सपना, कई साल बाद 2018 में साकार हुआ।
साल 2006 में विग्नना ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (Vignana Jyothi Institute of Management) से एमबीए करने के बाद, उन्होंने हैदराबाद और नोएडा में कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया। वर्ष 2016 में, उन्होंने अपनी पैकेजिंग से जुड़ी एक कंपनी की स्थापना की और उसी दौरान, उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों के विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। साल 2018 में, जब वह अपने किसी क्लाइंट के लिए एक इको फ्रेंडली पैकेजिंग प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं, तब उन्होंने एक ऐसी कंपनी बनाने का फैसला किया, जो पूरी तरह से 100% कम्पोस्टेबल कागज़ की बोतलें बनाने पर फोकस्ड हो।
एक सस्टेनेबल भविष्य की ओर
प्लास्टिक का विकल्प तलाशने की गहरी रुचि तो उनमें थी, लेकिन इस क्षेत्र में उन्होंने कोई शैक्षिक ट्रेनिंग नहीं ली थी। इसलिए, उन्होंने ऐसे इको फ्रेंडली प्रोड्क्ट बनाने के लिए, कई डिजाइनर और वैज्ञानिकों से सलाह ली। अगले दो सालों तक, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। दरअसल इस तरह के प्रोड्क्ट कैसे बनाये जाते हैं, इस बारे में उनके पास ज्यादा जानकारी नहीं थी।
समीक्षा ने बताया, “जब मैंने शुरुआत की, तब सही मशीनें ढूंढ़ना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। केवल बाजार जाकर मशीन खरीदना संभव नहीं था, क्योंकि यह भारत में यह अपनी तरह की पहली मशीन थी। हमें मशीनों को शुरुआत से बनाना था। मुझे प्रोड्क्ट को ध्यान में रखते हुए, उन्हें बनाने में मदद करने के लिए सही लोगों की तलाश करनी थी।