'साको 363' बड़े पर्दे पर - पेड़ को बचाने खुद कट गई महिलाएं, ऐसा था पर्यावरण प्रेम
पर्यावरण संरक्षण, जीवरक्षा व नशा मुक्त समाज के लिए नागौर में बनी फिल्म 'साको 363' बड़े पर्दे पर आने को तैयार है। फिल्म ष्साको 363 पर लगा स्टे हट गया है,और अब इसे सेंसर बोर्ड से प्रमाणीकरण मिलना की बात की जा रही है। 12 -12-2024 को इस फिल्म के रिलिज होने की संभावना है। अगर ऐसा सच हुआ तो यह फिल्म जल्द जारी हो जाएगी। संभवत: यह देश की पहली ऐसी फिल्म है, जिसमें निर्माताओं की संख्या 363 है। एक तरफ बिश्नोई समाज मूक वन्य जीवों के सुरक्षा कवच बने हुए हैं। इनके साथ-साथ पौधारोपण करने,पेड़-पौधों को बचाने के लिए हर समय तैयार रहता है। इस बीच समाज ने पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देने के लिए अमृता देवी बिश्नोई के वृक्ष रक्षार्थ इतिहास को बताने के लिए फिल्म बनाई है।
करीब 300 वर्ष पहले अमृतादेवी की अगुवाई में खेजड़ी पेड़ की रक्षार्थ 363 नर-नारी के बलिदान को विश्व भर में दिखाने के लिए श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीव रक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान ने फिल्म साको 363 का निर्माण किया है, जो विश्व भर में पहली बॉलीवुड हिंदी भाषी फिल्म है। यह फिल्त आमजन को प्रकृति प्रेम का संदेश देगी। भारत के अलावा अन्य देशों में यह फिल्म अंग्रेजी भाषा में दिखाई जाएगी ।