उत्तर प्रदेश में  योगी सरकार ने खेती में रसायनों के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. सभी जिलों में एक-एक गांव ऐसा तैयार किया जाएगा जहां खेती में इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) तकनीक का इस्तेमाल होगा. इन गांव के खेतों में जैविक खाद व जैविक उर्वरक प्रयोग किए जाएंगे. उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर की तरफ से सभी रक्षा अधिकारियों को इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि जब आपकी फसल में कीड़े या कोई रोग लगता है तो किसान कीटनाशक डालते हैं. खेत में खरपतवार होता है उसकी दवा (खतपतवारनाशक) डालते हैं.

रासायनिक दवाएं खेती के साथ सेहत के लिए नुकसान

ये रासायनिक दवाएं न सिर्फ काफी महंगी पड़ती हैं बल्कि किसानों की सेहत, फसल और यहां तक खेती की मिट्टी को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं. लेकिन किसान बिना कीटनाशक भी खेती कर सकते हैं. बिना रसायनिक दवाओं के खेती करने के तरीके को इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) कहते हैं. ये बहुत सरल, सस्ता और उपयोगी तरीका है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिला कृषि रक्षा अधिकारी एक-एक गांव को आईपीएम ग्राम के रूप में गोद लेंगे. इन गोद लिए गांव में आईपीएम तकनीक का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही भूमि शोधन, बीज शोधन, खरपतवार नियंत्रण, कीट नियंत्रण करने के साथ ही कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाएगा.

किसानों की आमदनी बढ़ाने का आसान तरीका

कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर के मुताबिक, आईपीएम ग्राम के लिए ऐसे गांव का चयन किया जाएगा, जहां आने-जाने के लिए उचित व्यवस्था हो. ऐसा इसलिए जिससे अन्य किसान यहां आकर इस मॉडल को देखें और अपने यहां लागू करने की तरफ काम करें.

क्लस्टर के रूप में खेती करने वाले गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने बताया कि ऐसे गांव के बाहर आईपीएम ग्राम का बोर्ड लगाया जाएगा. जबकि जिला कृषि रक्षा अधिकारी इसके नोडल होंगे. इस दौरान सीजन की फसल कटाई के बाद इस पूरे कार्यक्रम का मूल्यांकन किया जाएगा. किसानों को दलहनी और तिलहनी फसलों में आईपीएम विधा का प्रदर्शन करने के साथ प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्हें इसके माध्यम से इन फसलों में कीट, रोग एवं खरपतवार नियंत्रण के बारे में बताया जाएगा.

किसानों को मिलेगा उपकरण खरीदने का पैसा

डॉ तोमर बताते हैं कि खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में प्रदेश के सभी 825 ब्लॉक में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा. किसान खुद आईपीएम किट, यांत्रिक काम के कृषि उपकरण, फेरोमोन ट्रैप व अन्य आवश्यक प्रशिक्षण सामग्री, बायोपेस्टीसाइड्स खरीदेंगे. बाद में इसका भुगतान किसानों के खाते में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि किसानों को अन्न भंडारण के नए वैज्ञानिक उपायों के बारे में भी बताया जाएगा. इस अभियान का उद्देश्य आईपीएम तकनीक के माध्यम से कम लागत में अधिक गुणवत्तायुक्त खाद्यान का उत्पादन कर किसानों की आय बढ़ाना है. इस अभियान से जल्द ही कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों को भी जोड़ा जाएगा.

IPM तरीके से तैयार फसलों की अधिक डिमांड

बता दें कि देश की बहुत सी कंपनियां आईपीएम तरीके से तैयार अनाज और फसलों को रासायनिक खेती से तैयार फसल की उपज की अपेक्षा आईपीएल तरीके से तैयार फसल का बेहतर दाम देने के लिए तैयार है. क्योंकि सब्जियां अनाजों में जिसमें मुख्य रूप से बासमती धान अधिक रसायन पाने के और बहुत सी सब्जियां बहुत सी सब्जियां यूरोप और अरब देशों में नहीं ली जा रही है.

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