छतरपुर का यह चमतकारी कुण्ड जो आपदा पूर्व बता देता है संकेत
भारत अध्यात्म की धरती है एवं यह अध्यात्म का मूल प्रकृति से जुड़ा है। प्रकृति में होन वाली कई घटनाएं जो अदर्श हैं उसके संकेत के लिए प्रकृति ने इंडीकेटर भी यहा छोड़ रखा है। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही कुण्ड के बारे में जों प्रकृति के कई अशुभ संकतों को बता भी देता है साथ ही मानव जीवन की कई समस्याओं के हल में भी सहायक सिद्व हो रहा है। मध्यप्रदेश के छतरपुर से 70 किमी दूर बाजना गांव में स्थित एक कुण्ड बड़े-बड़े वैज्ञानिकों एवं जानकारों के लिए रहस्य बना हुआ है। भीमकुंड के नाम से प्रशिद्ध यह कुंड के बारे में मान्यता है कि इस जब भी आपदा आने वाली होती है इस कुण्ड का पानी अपने आप उपर आने लगता है। यहां मान्यता है कि इस रहस्यमय कुंड में स्नान करते मात्र से ही विभिन्न बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा इस की कुंड के पानी की तीन बूंदें पीने प्यास भी बुझ जाती है। ऐसी मान्यता है कि पाण्डव काल में द्रोपदी की प्यास बुझाने पाण्डवों ने इस कुण्ड का निर्माण करवाया था। यहां के स्थानीय जन बताते हैं कि द्रोपदी प्यास के कारण व्याकुल हो उठीं थीए जिसके बाद भीम ने अपनी गदा से धरती पर प्रहार कियाए जिससे जमीन की कई परतों में छेद हो गया और पानी दिखाई देने लगा था। लेकिन पानी का स्तर काफी नीचे था।
ऐसा देख उसी समय युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि तुम्हें अपनी धनुर्विद्या से इस पानी तक पहुंचे का मार्ग बनाना होगा। जिसके बाद अर्जुन ने बाण चढ़ाया और जल स्रोत तक सीढियां बना दी थी और द्रौपदी के लिए पानी की व्यवस्था की गई। भीमकुंड (नीलकुंड के नाम से भी जाना जाता है) एक प्राकृतिक पानी का ताल और मध्य प्रदेश, भारत में एक पवित्र स्थान है। डिस्कवरी चैनल की टीम और वैज्ञानिकों का दल इस कुंड के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश कर चुके हैं। वह इसकी गहराई तक पता नहीं कर पाए। भीमकुंड का जल इतना स्वच्छ है कि पानी के अंदर तैरती हुई मछलियां और चट्टानें आप अपनी आंखों से देख सकते हैं।