एनजीओ से ब्लैक मनी को वाइट करने वालों पर अब कसेगा शिकंजा
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने गैर-लाभकारी संस्थाओं पर कड़ा शिकंजा कसने का निर्णय लिया है। गैर लाभकारी संस्था से जुड़े हुए सभी राजनेता, अधिकारी, उसके सदस्यों एवं संस्था के प्रबंधकों के ऊपर सरकार कड़ी निगरानी शुरू करने जा रही है। वित्तीय लेनदेन पर भी सरकार की कड़ी नजर होगी। धन शोधन निषेध कानून के तहत लाभार्थी के खुलासे या रिपोर्टिंग के लिए सीमा 25 फ़ीसदी से घटाकर 10 फ़ीसदी कर दी गई है। संस्था में 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी या पूंजी अथवा मुनाफे रखने वाले व्यक्ति की जानकारी अब संस्था को देना अनिवार्य होगा। संशोधन कानून के अंतर्गत लाभार्थी का मतलब ऐसे व्यक्ति से है,जिनका उस संस्था पर नियंत्रण और स्वामित्व होता है। धन शोधन कानून के अंतर्गत जिन लोगों के साथ वित्तीय लेनदेन कर रहा होता है। वित्तीय लेनदेन की जानकारी का दायरा बढ़ा दिया गया है। ताकि काले धन को सफेद धन बनाने की गतिविधि पर रोक लगाई जा सके। गैर लाभकारी संस्था को अब अपने प्रबंधकों के नाम साझेदारों के नाम एवं संस्था की सभी गतिविधियों का ब्यौरा जमा करना पड़ेगा। वित्त मंत्रालय ने 7 मार्च को अधिसूचना जारी की है। उसके अनुसार संशोधन नियम 2023 में संशोधन किया गया है। पहले पंजीकरण प्रमाण पत्र,स्थाई खाता संख्या, पैन कार्ड तथा संस्था के पदाधिकारियों के दस्तावेज उपलब्ध कराने तक सीमित था। उसका दायरा अब बढ़ा दिया गया है।