पैसा होने पर ही समाज देता है रूतबा,अन्यथा घूंघट में दम घुटता है
मध्यप्रदेश सरकार सामुदायिक बदलाव हेतु आर्थिक ,सामाजिक,एवं राजनीतिक बदलाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों को आगे बढ़ाने बड़े-बड़े फैसले ले रही है। मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव का यह सायलेंट अंदाज से उम्मीद की किरण बढ़ रही है कि प्रदेश में ज्ञान एवं जन कल्याण का प्रकाश और तेजी से बढ़ेगा।
आज एक ऐसी ही महिला की कहानी है जो समाज को नई दिशा देने एवं आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा दे रही है।
खरगौन जिले की छाया यादव ने गरीबी को बहुत करीब से देखा है। उन्हें अच्छी तरह पता है कि अभावों के बीच रहकर कैसे जीवन गुजारा जाता है। लेकिन अब छाया यादव के दिन बदल गए हैं। छाया यादव ने मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर डेयरी व्यवसाय को अपना लिया है। इस व्यवसाय से उन्हें अब हर माह 20 हजार रुपये की शुद्ध आय हो रही है। छाया की इस सफलता ने उनका सामाजिक रूतबा भी बढ़ा दिया है। अब हर कोई उन्हें लखपति छाया दीदी के नाम से पहचानता है।
खरगौन जिले के भीकनगांव विकासखण्ड के ग्राम रेहगांव की छाया यादव के परिवार में 4 सदस्य हैं। परिवार के पास कम कृषि भूमि होने और रोजगार के साधन नहीं होने के कारण उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था। लेकिन जब छाया यादव आजीविका मिशन से जुड़ गई तो उनके दिन भी बदलने लगे। आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद उन्होंने अपने पति सुनील यादव के साथ पशु पालन का काम प्रारंभ किया। शुरूआत में उन्होंने कम दूध देने वाली भैंसों को कम कीमत में लेकर उन्हें अच्छी तरह से तैयार ऊँची कीमत में बेचना शुरू किया। इसके बाद छाया यादव ने बैंक से एक लाख रुपये का ऋण लेकर डेयरी का काम शुरू किया। इस काम में पूरे परिवार ने उनका साथ दिया। आज वह प्रतिदिन 30 से 40 लीटर दूध बेच रही है। इससे उन्हें प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये तक की शुद्ध बचत होने लगी है।
छाया दीदी ने डेयरी व्यवसाय से मिले अनुभवों का लाभ लेकर जैविक खेती करना भी प्रारंभ किया। इस काम से वे अधिक उत्पादन लेने वाले किसानों में शामिल हो गई हैं। छाया दीदी ने श्रीराम आजीविका समूह से एक लाख 50 हजार रुपये का ऋण लिया। अच्छी आमदनी होने से परिवार का जीवन स्तर और रहन-सहन भी बदल गया है। अब वे अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य के बारे में भी ध्यान देने लगी हैं। गरीबी से निकलकर सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाली छाया दीदी अब अपने क्षेत्र की दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गई है