प्रेमलता राहंगडाले विद्यार्थियों के समग्र विकास को लेकर कर रहीं नवाचार,अब मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान
राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा स्थित शासकीय संभागीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) की प्रशिक्षण अधिकारी श्रीमती प्रेमलता राहंगडाले उन शिक्षिकाओं में से हैं, जो न केवल शिक्षा प्रदान करती हैं, बल्कि अपने विद्यार्थियों के जीवन को नई दिशा देने के लिए खुद को समर्पित भी करती हैं। उनकी अटूट लगन, कड़ी मेहनत और दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की क्षमता में दृढ़ विश्वास ने उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित होने का गौरव दिलाया है।
श्रीमती राहंगडाले ने 11 साल पहले एक ही सपने के साथ अपनी शिक्षण यात्रा शुरू की थी - विद्यार्थियों की छिपी हुई क्षमता को सामने लाना और उन्हें जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने के लिए तैयार करना। वे कहती हैं, "जब मैंने शिक्षा देने की यह यात्रा शुरू की थी, तो मेरा लक्ष्य शिक्षा के प्रकाश से इन बच्चों के जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर करना था। मेरा मानना है कि अगर इन बच्चों को सही मार्गदर्शन और प्रेरणा मिले, तो वे भी महानता हासिल कर सकते हैं।"
श्रीमती राहंगडाले का दृष्टिकोण केवल शिक्षण तक ही सीमित नहीं है। वह अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास पर जोर देती हैं, ताकि वे जीवन के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकें। उनके अनुसार, "मेरा उद्देश्य अपने विद्यार्थियों को उस स्तर तक ऊपर उठाना है, जहाँ वे आत्मविश्वास, साक्षरता और व्यक्तित्व विकास के माध्यम से समाज में योगदान दे सकें।" ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए श्रीमती रहंगडाले एक मार्गदर्शक के रूप में उभरी हैं। वह न केवल उन्हें शिक्षित करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करती हैं। वह कहती हैं, "अपनी शिक्षण यात्रा के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि अगर इन बच्चों को सही दिशा दी जाए, तो वे भी किसी भी अन्य नियमित छात्र की तरह सफलता प्राप्त कर सकते हैं।" अपने विद्यार्थियों के प्रति श्रीमती रहंगडाले के समर्पण ने उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना है। यह पुरस्कार न केवल व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता विकास में उनकी उत्कृष्टता को मान्यता देता है, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का भी प्रतीक है। श्रीमती प्रेमलता रहंगडाले की प्रेरणादायक यात्रा उन सभी शिक्षकों के लिए एक मिसाल है, जो शिक्षा को केवल एक पेशे के रूप में नहीं, बल्कि जीवन को बदलने के साधन के रूप में देखते हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सही मार्गदर्शन और निस्वार्थ सेवा से किसी का भी जीवन प्रकाश से भर सकता है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों।