मप्र में शिक्षा-योजना एवं संचार की त्रिवेणी
योगेन्द्र पटेल
मप्र में आठ दिनों से चल रहे मुख्यमंत्री चयन को लेकर चल रहीं अटकलों पर आज विराम लग गया है। विधायक दल की सहमति से मप्र को विकसित करने शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कारी डॉ मोहन यादव एवं योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने में माहिर जगदीश देवड़ा के साथ उसे जन जन तक संचार करवाने में कुशल राजेन्द्र शुक्ल के रूप में नये तारनहार मिल गए हैं।
भाजपा ने उस मोहन यादव को चुना है जिन्होने यूजी के बेसिक कोर्स में हिंदी व अंग्रेजी भाषा के साथ पर्यावरण अध्ययन व योग एवं ध्यान पाठ्यक्रम को अनिवार्य किया। इसके अलावा स्टार्टअप और उद्यमिता, व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण और महिला सशक्तिकरण पाठ्यक्रम को भी जोड़ा था । वहीं उपमुख्यमंत्री के रूप में उस जमीनी नेता को चुना है जिन्होने योजना सांख्यिकी विभाग के अमले को जमीन पर पहुंचाकर सरकार को सही डाटा दिया एवं सरकार की योजनाओं को हर नागरिक तक पहुंचाने का प्रयास किया। ऐसा ही कुछ रीव की धरती से जुड़े राजेन्द्र शुक्ला भी है जो जनसंपर्क की कमान संभालकर सरकार की योजना का संप्रेषण जन-जन तक पहुचाने के लिए जाने जाते हैं।
मप्र को मिले शोधकारी मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश की जनता को इस बार काफी पढ़े.लिखे मुख्यमंत्री मिलने जा रहे हैं। उज्जैन दक्षिण से भाजपा विधायक डॉ मोहन यादव एमपी के नए सीएम बनेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके मोहन यादव के पास आधा दर्जन से भी ज्यादा डिग्रियां हैंण् वो पढ़ाई में अपनी विशेष रुचि के साथमुख्यमंत्री बनने तक कुल 41 वर्षों का रहा संघर्ष
डॉ, मोहन यादव को मंत्री पद तक पहुंचने के लिए 41 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा है। उन्होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। पार्टी में कई पदों पर रहने के बाद सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका मिला है। कई बार वह बयानों को लेकर प्रदेश की राजनीति में चर्चा में रहे हैं। 1982 में वे माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह.सचिव और 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1984 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 मे विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। यही नहीं वर्ष 1988 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। 1989.90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991.92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं।1993.95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघए उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाहए सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं। संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई। 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवेबोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी बने। इसके बाद उन्होंने संगठन में रहकर अलग.अलग पदों पर काम किया। 2004.2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष ;राज्यमंत्री दर्जाद्ध रहें। 2011.2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगमए भोपाल के अध्यक्ष ;कैबिनेट मंत्री दर्जाद्ध भी बने। पहली बार 2013 में वह विधायक बने। 2018 में भी पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वह चुनाव जीतने में सफल रहे। 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मोहन यादव फिर से मंत्री बने।
बीएससीए एलएलबीए एमबीए और पीएचडी जैसी डिग्रियां कमा चुके हैं