क्या किसी राजनेता को इस लिए लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में भेज दिया जाए कि वह एहसान का चंदा लेकर किसी बड़े राजनीतिक दल के सहारे हर हाल में कुर्सी तक पहुंचना चाहता है ऐसा इस बार के चुनाव में हुआ हो ऐसा नहीं लग रहा है फिर भी कल के परिणाम तय करेंगे कि जनता लोकतंत्र के प्रति कितनी सजग है एवं आपना नेता कैसा चाहती है। 
    चलिए अब हम अब तक के राजनीतिक पैटर्न से हट के बात करते है तो देखते हैं कि इस चुनाव के बाद क्या जनता ने अपना नेता चुना है वह उनकी उम्मीद पर खरा उतरेगा यह वक्त बताएगा,परंतु इस बार के चुनाव में भी बहुत ही कम उम्मीदवार यह कहते दिखे कि हां मैं आपके माध्यम से ही आपकी गरीबी मिटाने के लिए आ रहा हूॅं। 
एक दौर था जब राजनीति भलाई के लिए की जाती थी,स्वयं भूखा रहकर जनता की भलाई के लिए तत्पर रहने वाले को लीडर माना जाता था पर अब इसके विपरित होता दिखता है जनता की नहीं स्वयं की भलाई या दलों के लिए चंदा जुटाउ नीति ने जनता को कंगाल बना दिया है। जनता रेवड़ी नहीं मांग रही है जनता काम मांग रही है और जनता काम नहीं मांग रही है तो इसका मतलब यह है कि लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र चल रहा है। 
एक रिपोर्ट कहती है कि कुछ सालों में गरीबी-अमीरी की खाई बढ़ती जा रही है। हो सकता है कि इसका कारण प्राकृतिक आपदा जैसे संवेदनशील घटनाएं शामिल हों फिर भी आर्थिक स्थित की परवाह करना राजनेताओं को धर्म है,जो सहीं निभता हुआ नहीं दिख रहा है।  

समाजिक सुरक्षा से बेपरवाही क्यों ?
कुछ ही दिनों पहले मप्र में ही जी-20 जैसे सम्मेलन आयोजित हुए । बड़ी तामझाम से बताया गया कि वैश्विक स्तर पर हम गरीबी को मिटाने 350 से अधिक सामाजिक सुरक्षा उपायो को लागू करेंगे। लेकिन जब राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र पर गौर करें तो ऐसा उसमें कुछ भी नहीं दिखा जिससे की आर्थिक विकास के मामले में क्रांति जैसी बात हो। समाज मेें परिवर्तनकारी नवाचार की सोच पर आधारित बिन्दु बिल्कुल भी नहीं थे जो एक सक्षम समाज निर्माण में सहयोग कर सके।  
तथापि प्रगति असमान एवं अपर्याप्त है इसे संभावित भावी नुकसानों से खतरा है,इस बात को अब राजनीति दलों को एवं उसके विस्तारकर्ताओं को समझना पढ़ंगा। प्रकृति सम्मत एवं सत्त विकास के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने परिवर्तनशील बनकर मैदान में उतरना पढ़ेगा। दरिद्रता एवं पर्यावरण संबंधी विषयों पर भी चिंतन एवं उसके स्पंदन की आवश्यकता है जो राजनीतिक दलों एवं जनता में दृढ़ विश्वास के लिए आवश्यक है। 

 

न्यूज़ सोर्स : ipm