क्या इस बार 1962 का रिकार्ड तोड़ेंगे निर्दलीय? बड़ी संख्या में उतरे मैदान में

प्रायः यह कहा जाता है कि जब- जब भी बदलाव जैसी स्थिति किसी भी देश में बनती है, वहां लोग दलगत राजनीति से उपर उठकर सोचने लगते हैं। मप्र में इस बार भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। मप्र में एक बड़ा सामाजिक बदलाव हुआ है। यहां के नागरिकों में शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ सोच- समझ में जागरूकता भी बढ़ी है।
इस बार के चुनाव में राजनीतिक दलों के दलबदल जैसी स्थिति कहें या समाज में निर्दलीयों की स्वीकार्यता कहें इसका असर चुनाव में देखने को मिल रहा है। इस बार के चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं सबसे बड़ी बात यह भी है कि उन्हे समर्थन भी भारी देखा जा रहा है।
मप्र के वर्तमान निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों पर नजर डालें तो मप्र के अंतिम जिले बालाघाट से इसकी शुरूआत होते दिखती है। यहां से इस बार तीन से चार उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ते दिख रहे है।
क्या है निर्दलीयों का रिकार्ड
निर्दलीयों के रिकार्ड पर नजर डालें तो अविभाजीत मप्र की 288 वाली विधानसभा मेे 1962 में सबसे अधिक निर्दलीय जीते थे। उस वक्त सवा्रधिक 142 सीट कांग्रेस ,जनसंघ ने 41 एवं 39 निर्दलीय उममीदवारों ने जीत दर्ज कर राजनीतिक में एक बड़े बदलाव की शुरूआत करी थी। वैसे 1957 में 20 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। 19767 में 22,1972 में 18 उम्मीदवार चुनाव निद्रलीय रूप से जीते थे। हालांकि इसके बाद राजनीतिक दलों का कब्जा जमता गया एवं निर्दलीयों की जीत में कमी आती गई। 2008 तक मात्र 4-5 उम्मदीवार की चुनाव जीत सके।
मध्य प्रदेश में कोई राज्य स्तरीय पार्टी नहीं है, लेकिन यहां निर्दलीय उम्मीदवार दोनों बड़े दलों भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़ देते हैं। इनमें कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा या कांग्रेस से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरते हैं, जिससे वह ज्यादा मत भी हासिल कर लेते हैं।
आंकड़े गवाह हैं
पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि 30 से अधिक सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को कुल मतों में से 10 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में तो 62 सीटों पर निर्दलीयों ने 10 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे। सभी विधानसभा क्षेत्रों में मिलाकर उन्हें 8.32 प्रतिशत वोट मिले थे। तीन निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे।
वर्ष 2018 में निर्दलीयों को इन क्षेत्रों में मिले 10 प्रतिशत से अधिक मत
अंबाह, ग्वालियर दक्षिण, बमोरी, खरगापुर, पथरिया, जबेरा, नागोद, मऊगंज, सिहावल, सिंगरौली, बांधवगढ़, जबलपुर उत्तर, पनागर, बालाघाट, बारासिवनी, सिलवानी, सीहोर, राजगढ़, सुसनेर,शाजापुर, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, महेश्वर, भगवानपुरा, बड़वानी, बदनावर, महिदपुर, उज्जैन दक्षिण ,सैलाना, जावरा, गरोठ और जावद।
इस बार कहां बिगड़ेगा गणित
रतलाम
बालाघाट
सीधी
खरगोन
मालवा
मुलताई