65 प्रतिशत मतदाता पर अभी भी मतदान में रहता है जातिवाद का भूत सवार
भोपाल। आजादी के इतने दिनों बाद भी जातिवाद का बोलबाला है। एक विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि जनता जाति से प्रभावित होकर ही मतदान करती है।
अब सवाल उठता है कि राजनीति दलों एवं सरकारों,समाज पढे -लिखे होने के बाद भी सेवियों के इतने प्रयासों के बाद भी जाति का मकड़जाल अब तक क्यों बना है। यह सोचने वाली बात है कि जिस जातिवाद से भारत कमजोर होकर गुलामी के रास्ते धकेल दिया गया उसे समाप्त करने नागरिक क्यों नहीं आगे आ रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक आने वाले दिनों में जाति की राजनीति एक नये कलेवर में पनपति नजर आ रही है। समाज को बांधकर राज करने वाले राजनेताओं की संख्या में इजाफा ही होता जा रहा हैं
क्या कहते हैं आकड़े
65% मतदाता जातियों की तरफ होते हैं आकर्षित
21.1 प्रतिशत हैं राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के मतदाता
15.6 प्रतिशत हैं अनुसूचित जाति (एससी) के मतदाता
50.09 प्रतिशत हैं अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता
142 सीटों पर हैं एसटी, एससी व ओबीसी विधायक
35 सीटें आरक्षित हैं एससी वर्ग के लिए
47 सीटें आरक्षित हैं एसटी वर्ग के लिए
60 सीटों पर प्रभावी भूमिका में हैं ओबीसी मतदाता
दलवार विधायक
भाजपा
18 विधायक हैं एससी
16 विधायक हैं एसटी
38 विधायक हैं ओबीसी
कांग्रेस
• 15 विधायक हैं एससी
• 30 विधायक हैं एसटी
• 21 विधायक हैं ओबीसी
शिवराज कैबिनेट में स्थिति
• 25 प्रतिशत ओबीसी
• 30 प्रतिशत क्षत्रिय
• 4 मंत्री एसटी वर्ग के
• 3 मंत्री एससी वर्ग के
• 3 मंत्री हैं ब्राह्मण