किसी भी देश का विकास संचार माध्यमों के सही दिशा एवं सरकार एवं नागरिकों के बीच बेहतर संवाद से ही संभव है। भारत में इस को लेकर कई राज्य सरकारी स्तरों पर प्रयास भी कर रही हैं लेकिन गैर-सरकारी स्तर पर भी इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है। देश के तीन से चार राज्य अपनी वेब नीति को एक बेहतर तंत्र के रूप में विकसित कर तेजी से जमीनी बदलाव एवं विकास गति में शामिल हो रहे हैं किंतु मध्यप्रदेश अपनी वेब नीति को अब तक सही से लागू न कर विकसित भारत विजन 2047 के लक्ष्य में कमजोर होता दिख रहा है। 
मप्र में सरकारी प्रक्रिया के तहत वेब नीति को लागू न कर गुपचुप सांठगांठ एक बड़े बजट का बंटाधार तो कर ही रही है,वहीं नीति निर्माताओं एवं राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव सरकार की दृष्टि एवं भारत सरकार के विजन 2047 पर पानी फेरता नजर आ रहा है। 

सुशासन के लिए संचार कैसे प्रभावी
 टिकाउ विकास के लिए विकसित दुनिया में सार्वजनिक सुधार महत्वपूर्ण भूमिका में रहा है। विश्व बैंक के शोध भी यही बताते हैं कि लंबी अवधी तक सुशासन के लिए सामुदायिक संचार विभिन्न परियोजनाओं को जमीन तक पहुंचाने के सफल प्रयासों में रहे हैं। विकसित देश वेब संचार व्यवस्था माध्यम से राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रणाली में नागरिक सहभागिता पहलों को बेहतर शासन व्यवस्था का अंग मान रहे हैं एवं उसे अपना भी रहे हैं। आप विकसित देशों के कई ऐसे उदाहरणों से समझ सकते हैं के संचार डोमेन के विकास में क्या मायने हैं। 
भारत में मनोरंजन एवं राजनीति के इर्द-गिर्द घूमता मीडिया
सुशासन के लिए जितना राजनीतिक दल, विधायक संसदए न्यायपालिका जिम्मेदार है उतनी ही मीडिया की भी भूमिका है। लेकिन इस वक्त सामुदायिक विकास को लेकर मीडिया देश में कमजोर अवस्था में हैं। बजट डेटा को नागरिकों तक पहुंचाने एवं योजनाओं के क्रियान्वयनों में मीडिया की शुन्यता दर्शाती है कि देश में मीडिया को सही दशा एवं दिशा की आवश्यकता है। सामुदायिक विकास को लेकर सार्वजनिक संस्थाओं को भी नागरिकों के विकास में क्षमता वर्धन एवं विकास सेक्टर में हो रहे छोटे-छोटे प्रयासों को पब्लिक डोमेन में लाने के प्रयास करने चाहिए। 
सुशासन के लिए मीडिया का जमीनी प्रभाव
देश में विकास सेक्टर हेतु सामुदायिक रिपोर्टिग तंत्र कमजोर अवस्था में हैं। विकास सेक्टर की खबरों एवं लेखों के लिए समाचार पत्रों के पास जगह नहीं है वहीं चैनलों को हवा-हवाई की खबरों से फुर्सत नहीं हैं ऐसे में सरकार को चाहिए की वह अपने विकास एजेंडे में सामुदायिक रिपोर्टिंग तंत्र को विकसित करें। सरकारें अपनी मीडिया नीति में ऐसे प्रयास करें जिससे की समावेशी विकास की दिशा में सक्षम एवं स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के नीति संवाद हों। वर्तमान में सरकारों के पास जमीनी बदलाव को लेकर कोई मजबूत सामुदायिक संचार तंत्र प्रभावकारिता के साथ कर रहा हो ऐसा दिख नहीं रहा है। ऐसे में स्थानीय संचार क्षमता के विकास को लेकर प्रयास किये जाने चाहिए। 
सामुदायिक वेब मीडिया से क्या होगा बदलाव?

  • शासन के निर्णय लेने की क्षमता को विकास होगा
  • स्थानीस शासन व्यवस्था में सुधार होगा
  • विकास सेक्टर में पारदर्शिता आएगी
  • भ्रष्टाचार को को कम किया जा सकेगा
  • समाज में कमजोर व्यक्ति को लाभ मिलेगा
  • मानवाधिकारों की रक्षा होगी एवं ताकतवर हमेंशा राज नही ंकर सकेगा। 
  • समतासमूलक समाज का निर्माण होगा
  • लोगों में कर्तव्य परायणता का विकास होगा। 
  • लोक प्रशासन में पारदर्शिता एवं सामर्थ्य को बढ़ावा मिलेगा
  • नवाचारों को बूस्ट किया जा सकेगा
  • समुदाय के बीच से नव नेतृत्व को विकास होगा।
  • सुशासन की अवधारणा स्पष्ट करें |
न्यूज़ सोर्स : योगेन्द्र पटेल- लेखक सामाजिक-राजनीतिक एवं प्रशासनिक विश्लेषक हैं।