राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मनोनीत किया है। ये नामांकन राज्यसभा के पूर्व नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के बाद खाली हुए स्थानों को भरने के लिए किए गए हैं। इस सूची में उज्ज्वल देवराव निकम का नाम भी शामिल है। 

मीनाक्षी जैन एक भारतीय इतिहासकार एवं राजनीति विज्ञानी हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध गार्गी महाविद्यालय के इतिहास विभाग में शिक्षण कार्य किया है। वह इतिहास पाठ्यपुस्तक "मध्ययुगीन भारत" की लेखिका हैं। उनकी हाल की पुस्तक, "राम और अयोध्या", अयोध्या विवाद पर एक महत्वपूर्ण कृति है।

कौन हैं डॉ. मीनाक्षी जैन?

डॉ. मीनाक्षी जैन (Dr. Meenakshi Jain) भारत की जानी-मानी इतिहासकार हैं, जिनका काम मुख्यतः मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित रहा है. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में फेलो के तौर पर और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) की शासी परिषद की सदस्य के रूप में भी कार्य किया है. फिलहाल, वह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की सीनियर फेलो हैं.

साल 2020 में किया गया था पद्मश्री से सम्मानित

उनकी शोधपरक पुस्तकें अक्सर ऐतिहासिक विमर्श के केंद्र में रही हैं और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर सवाल उठाती रही हैं.  वह रोमिला थापर और सतीश चंद्र जैसे इतिहासकारों के दृष्टिकोण को चुनौती देती रही हैं. डॉ. मीनाक्षी जैन का राज्यसभा में पहुंचना उस वैचारिक संघर्ष का परिणाम माना जा रहा है. इसे भारतीय इतिहास लेखन में 'परिवर्तन की राजनीति' का इनाम भी कहा जा रहा है. साल 2020 में उनके ऐतिहासिक शोध और लेखन के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था.

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