26 जनवरी को लागू होगा समान नागरिकता कानून, अब धर्म जाति कुछ भी हो कानून सब पर एक
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी लागू करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ा दिया है. इसके तहत हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए तैयार की गई नियमावली में आंशिक संशोधन किए जाने के बाद सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लग गई है. ऐसे में अब उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किए जाने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है. लिहाजा, संभावना जताई जा रही है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा.
कैबिनेट बैठक में यूसीसी नियमावली में संसोधन को मंजूरी: दरअसल, नियमावली में आंशिक संशोधन किए जाने को लेकर शासन स्तर से गठित विशेषज्ञ समिति ने नियमावली को परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेज था. ऐसे में विधाई विभाग के परीक्षण के बाद 20 जनवरी यानी आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक आहूत की गई और यूसीसी नियमावली को मंजूरी दे दी गई है. वर्तमान समय में नगर निकाय चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू है. इसके चलते उत्तराखंड शासन ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर मंत्रिमंडल की बैठक करने की अनुमति मांगी थी.
26 जनवरी को उत्तराखंड में लागू हो सकता है यूसीसी: लिहाजा राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति मिलने के बाद धामी मंत्रिमंडल की बैठक, सोमवार को सचिवालय में आहूत की गई. मंत्रिमंडल की इस बैठक में महत्वपूर्ण बिंदु यूनिफॉर्म सिविल कोड नियमावली को मंजूरी देना ही था. लिहाजा करीब आधे घंटे तक चली बैठक के दौरान मंत्रिमंडल ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की नियमावली को मंजूरी दे दी है. ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि उत्तराखंड में 26 जनवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया जाएगा.
क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना. अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा.
यूसीसी का पूर्व सीजीआई का पूरा समर्थन
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं समान नागरिक संहिता को एक बहुत ही प्रगतिशील कानून के रूप में देखता हूं जो विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की जगह लेगा जो कानून बन गए हैं.’’ गोगोई ने कहा कि इस बात पर कोई बहस नहीं है कि यह एक संवैधानिक लक्ष्य है और अनुच्छेद 44 में वर्णित है. गोगोई ने कहा कि अगर यूसीसी को लागू किया जाता है, तो इससे सभी नागरिकों के लिए एक ही तरह का व्यक्तिगत कानून होगा, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो. यह विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और भरण-पोषण जैसे मामलों पर लागू होगा.
देश के लिए बहुत आवश्यक कदम
उन्होंने एक सत्र के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, और हमें एक बात पर स्पष्ट होना चाहिए- इसका धर्म के पालन से संबंधित अनुच्छेद 25 और 26 के साथ कोई टकराव नहीं है.’’ सत्र के दौरान गोगोई ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.