लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाती यह रिपोर्ट-बिना बहस के पास हो रहे राज्यों में अधिकांश बिल
नई दिल्ली। बिना समुचित बहस के विधानसभाओं में बिल पास कराने की प्रवृति लगातार बढ़ रही है। राज्यों में चुनाव और विधानसभाओं के गठन का एक ही उद्देश्य होता है कि विधायी कामकाज हो, सदन में विधिवत चर्चा के साथ कानून पास हों ताकि उन पर बाद में विवाद न हो, लेकिन 2022 में राज्यों के विधायी कामकाज को देखें तो सालभर में बजट सहित 500 से ज्यादा बिल पास किए गए।
बता दें कि 500 से ज्यादा बिल में 56 प्रतिशत यानी 322 बिल पेश होने के दिन या उसके अगले दिन पास हो गए, जबकि 2021 में ये आंकड़ा 44 प्रतिशत था। बिहार, गुजरात, पंजाब और बंगाल समेत नौ राज्यों ने सभी बिल पेश होने के दिन ही पास किए।
क्या है विधानसभाओं का मुख्य काम?
विधानसभाओं का मुख्य काम बिलों पर चर्चा और उन्हें पास करना, सरकारी खर्चों की स्क्रूटनिंग और उसकी मंजूरी तथा सरकारी कामकाज की जवाबदेही पर चर्चा करना है। ये सारे काम तभी होते हैं जब सदन बैठता है और विधानसभा की कमेटियों की बैठक होती है।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की राज्यों के विधायी कामकाज पर हाल में आई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में विधानसभाओं की बैठकों में कमी आई है, जिससे उसका कामकाज प्रभावित हुआ है। कई राज्यों में विधानसभा समितियां सही से काम नहीं कर रही हैं।
रिपोर्ट कहती है कि बहुत कम बार होता है कि बिल की पास होने से पहले स्क्रूटनिंग हुई हो। राज्यों का खर्च हर साल बढ़ रहा है लेकिन विधानसभा द्वारा खर्च मंजूर करने से पहले उस पर विस्तार से चर्चा नहीं होती है।
हिमाचल में एक बिल पर औसतन 10 मिनट हुई चर्चा
सदन में बिलों के उपबंधों पर बहुत कम चर्चा एक ही दिन में ज्यादातर बिल पास होना बताता है कि सदन में बिलों के उपबंधों पर बहुत कम समय चर्चा होती है। उदाहरण के तौर पर हिमाचल प्रदेश में एक बिल पर औसतन 10 मिनट चर्चा हुई थी।
रिपोर्ट बताती है कि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिनकी विधानसभाओं में बिल पास होने में कुछ दिन का समय लगा, वहां एक ही दिन में बिल पास नहीं होते। ऐसे चार राज्य हैं- कर्नाटक, केरल, मेघालय और राजस्थान। यहां ज्यादातर बिलों को पास करने में पांच दिन से ज्यादा समय लगा।
साफ है कि वहां सदन में बिलों पर ज्यादा चर्चा हुई होगी। बिलों के उपबंधों पर गहराई से विचार-चर्चा के लिए उन्हें पेश होने के बाद सदन की समितियों को भेजा जाना चाहिए, लेकिन राज्य विधानसभाएं बहुत कम बार बिलों को समितियों को भेजती हैं। 2022 में सभी राज्यों को मिलाकर 30 से भी कम बिल समितियों को भेजे।
- 61 प्रतिशत काम बजट सत्र के दौरान हुआ राज्य विधानसभाओं के कुल सालाना कामकाज का।
- 90 प्रतिशत काम बजट सत्र के दौरान हुआ तमिलनाडु में, गुजरात व राजस्थान में 80-80 प्रतिशत।
- 10 दिन के गोवा विधानसभा सत्र में 26 बिल आखिर दो दिनों में पेश कर पास किए गए। जुलाई, 2022 सत्र में बाकी दिन बेहद कम कामकाज हुआ।
- 15 बिल एक दिन में दिसंबर 2022 में हरियाणा विधानसभा में पेश किए गए, अगले दो दिन में सब पास।
- 13 बिल एक दिन में पास किए सिंतबर, 2022 में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने।
- छह बिल दोनों सदनों में एक ही दिन पेश और पास हुए।
- 88 बिल सर्वाधिक असम विधानसभा ने पास किए 2022 में, तमिलनाडु ने 31 और गोवा ने 38 बिल पास किए, सबसे कम तीन बिल नगालैंड ने पास किए।