बालासोर ट्रेन हादसे के पास एक स्कूल में लाशों के ढेर , टुकड़ों में तलाशे बेटे के निशां
भुवनेश्वर: बालासोर ट्रेन हादसे के पास एक स्कूल में लाशों के ढेर लगे थे। इन लाशों के बीच एक शख्स किसी को तलाश रहा था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। सफेद चादरों से ढकी हर एक लाश का चेहरा खोलकर देखने के बाद वह बंद कर देता। यह शख्स बदहवाश था। चीख रहा था। कुछ लाशों के चेहरे इतने खराब थे कि उन्हें देखकर अपनी आंखें बंद कर लेते और फिर अगली लाश की ओर बढ़ जाते। ट्रेन हादसे के बाद आधी रात लाशों के ढेर के बीच पहुंचे यह शख्स दोपहर तक यही करते रहे। कुछ लोगों ने पूछा तो पता चला कि वह अपने बेटे को ढूंढ रहे हैं, जिसका कोरोमंडल ट्रेन हादसे के बाद से कुछ पता नहीं चल रहा था।
यह शख्स थे 53 वर्षीय पिता रवींद्र शॉ। वह अपने बेटे गोविंदा शॉ के साथ सफर कर रहे थे। दोनों बाप-बेटे परिवार पर हुए 15 लाख के कर्च को चुकाने के लिए कमाने निकले थे। बेटा लापता है और अब पिता बदहवास।
रवींद्र शॉ ने जो बताया उसे सुनकर ही रूप कांप जाए, लेकिन उन्होंने जो देखा, जरा सोचिए कि उन पर तब क्या गुजरी होगी? रवींद्र शॉ ने बताया कि वह और उनका बेटा बैठकर भविष्य की चर्चा कर रहे थे कि कितना कमाना है और कितना बचाना है। वह कब तक अपना कर्ज उतार सकते हैं। तभी अचानक कानों को चीर देने वाली आवाज आई और ट्रेन हादसा हो गया।
टुकड़ों में बंटकर एक के ऊपर एक चढ़ीं बोगियां, फिर... ओडिशा ट्रेन हादसे की तस्वीरें ही बयां कर रही खौफनाक मंजर
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यह हादसा पिछले 15 वर्षों में देश में सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक है।
एनडीआरएफ, ओडीआरएएफ, ओडिशा अग्निशमन सेवा के साथ-साथ कई स्वयंसेवी संगठनों ने रात भर क्षतिग्रस्त कोचों के ढेर में फंसे बचे लोगों और शवों की तलाश जारी रखी।
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यह भीषण हादसा कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण में बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास हुआ।
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घटना के बाद मौके पर हाहाकार मच गया। यात्री जान बचाने को भागे, कई भागने में असफल हुए क्योंकि वे बुरी तरह से दब चुके थे।
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लाशों को ढेर लगे थे। किसी का हाथ कट गया तो किसी का पैर, कई के सिर धड़ से अलग हो गए।
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रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार में पटरी से उतर गए और दूसरी पटरी पर जा गिरे।
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पटरी से उतरे ये डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए।
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चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरने के बाद एक मालगाड़ी से टकरा गए, जिससे मालगाड़ी भी दुर्घटना की चपेट में आ गई।
टुकड़ों में तलाशे बेटे के निशां
रवींद्र ने बताया कि उन्हें उसके बाद कुछ होश नहीं, कुछ मिनटों के लिए अंधेरा छा गया और उनका दिमाग सुन्न हो गया। जब होश आया तो सब तबाह हो चुका था। हर तरफ लाशें और शवों के टुकड़े पड़े थे। वह अपने बेटे को इन लाशों के टुकड़ों में ढूंढने लगे। कटे सर से लेकर धड़ों को वह गौर से देख रहे थे। किसी का कटा हाथ दिख जाता या पैर उसे भी गौर से देखते कि कहीं उनके बेटे के शरीर का कोई अंग तो नहीं। आधी रात तक वह बदहवाश ऐसे ही बेटे को खोजते रहे। उसके बाद वहां पहुंच गए जहां शवों का ढेर रखा गया था।