अब बिना जांच के भारत से निर्यात नहीं होगी कफ सिरप
भारत से निर्यात होने वाली खांसी की सभी दवाओं को अब सरकार से प्रमाण पत्र लेना होगा. गांबिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत का संबंध भारत-निर्मित खांसी की दवा से होने के बाद सरकार ने नियम कड़े कर दिये हैं.
भारत सरकार ने आदेश जारी किया है कि निर्यात होने वाली खांसी की दवा को एक प्रमाणपत्र लेना होगा. यह प्रमाण पत्र कड़े परीक्षणों के बाद जारी किया जाएगा और यह जांच एक सरकारी प्रयोगशाला में की जाएगी. व्यापार मंत्रालय ने मंगलवार को यह निर्देश जारी किया है, जिस पर अमल पहली जून से होगा.
भारत में दवा निर्माण का 41 अरब डॉलर का उद्योग है और वह दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत का दवा उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों से जूझ रहा है क्योंकि गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और अमेरिका में भी भारत में बनीं दवाओं के कारण लोगों की जान जाने की खबरें आईं.
प्रमाण पत्र जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि उसने कम से कम तीन भारतीय कंपनियों द्वारा बनाई गई दवाओं में जहरीले रसायन मौजूद पाये. इनमें से दो कंपनियों द्वारा बनाई गई कफ सिरप का संबंध पिछले साल गाम्बिया में 70 और उज्बेकिस्तान में 19 बच्चों की मौत से पाया गया.
व्यापार मंत्रालय ने अपने निर्देश में कहा है, "कफ सिरप के निर्यात की इजाजत तभी दी जाएगी जब उसके नमूनों के पास विश्लेषण प्रमाण पत्र होगा.” हालांकि इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछे गये सवालों के जवाब नहीं मिले. मसलन, क्या भारत के घरेलू बाजार में बिकने वाली दवा को भी इस तरह के प्रमाण पत्र की जरूरत होगी?
सरकार ने सात ऐसी केंद्रीय प्रयोगशालाएं चिह्नित की हैं, जहां परीक्षण करवाकर प्रमाण पत्र लिये जा सकेंगे. इसके अलावा राज्य सरकारों की प्रमाणित प्रयोगशालाएं भी प्रमाण पत्र जारी कर सकेंगी.
कहां हुई गलती?
विभिन्न देशों में भारत में बनी कफ सिरप पर विवाद होने के बाद भारतीय अधिकारियों ने भी उनकी जांच की थी. गांबिया में मेडन फार्मास्युटिकल्स नाम की कंपनी की बनाई कफ सिरप का संबंध बच्चों की मौतों से बताया गया लेकिन भारतीय अधिकारियों की जांच में उसमें कोई जहरीला तत्व नहीं पाया गया. लेकिन उज्बेकिस्तान में जिस कफ सिरप से बच्चों की मौत का संबंध बताया गया, उसमें जहरीले तत्व होने की पुष्टि की गई. उसे मारियोन बायोटेक नामक कंपनी ने बनाया था. हालांकि कंपनियों का कहना है कि उन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.
पिछले हफ्ते ही ऐसी खबरें आई थीं कि भारत फार्मा इंडस्ट्री संबंधी नीतियों में बदलाव पर विचार कर रहा है. इनमें कफ सिरप और उनकी निर्माण सामग्री की ज्यादा जांच भी शामिल है.
पिछले कुछ महीनों में भारत ने अपने दवा उद्योग की खराब होती छवि सुधारने के लिए कई तरह की कोशिशें की हैं. भारतीय अधिकारियों ने विभिन्न देशों का दौरा कर वहां के अधिकारियों और व्यापारियों से चर्चा की है. इसी साल भारत के स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्रीय और राज्यों के अधिकारियों के साथ हैदराबाद में एक बैठक की थी जिसमें इस समस्या का हल निकालने के लिए उपायों पर विचार हुआ था.