काबिलियत और उपलब्धियों की मिशाल लखनऊ की 'रॉकेट वुमन ,वैज्ञानिक ऋतु करिधाल
चंद्रयान-3 शुक्रवार की दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरेगा. 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिण. ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा. चंद्रयान-3 की लैंडिंग की ज़िम्मेदारी महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल को सौंपी गई
ऋतु करिधाल ने लखनऊ में ही पढ़ाई की. इसके बाद लखनऊ से ही उन्होंने फिजिक्स में एमएससी की है. इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु के इंडियन साइंस इंस्टीट्यूट का रुख किया. जहां अंतरिक्ष विज्ञान में उन्होंने महारथ हासिल की. ऋतु की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें ISRO में नौकरी मिल गई. इस युवा साइंटिस्ट ने इसके बाद कई उपलब्धियां हासिल की और 2007 में उन्हें यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिला.
काफी कम उम्र में ही उनकी काबिलियत और उपलब्धियों ने उन्हें एक बड़ी साइंटिस्ट बना दिया. इसके बाद देश के तमाम बड़े अंतरिक्ष मिशनों में उनकी अहम भूमिका रही. इसीलिए उन्हें भारत की रॉकेट वुमन भी कहा जाता है. फिलहाल उनके हाथों में मिशन चंद्रयान-3 की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिस पर देश और दुनियाभर के करोड़ों लोगों की नजरें टिकी हुई हैं.
चंद्रयान-3 को सफल बनाने की तैयारी
भारत पिछले लंबे समय से चांद पर चंद्रयान की सफल लैंडिंग की कोशिश कर रहा है, जिसके बाद अब सभी उम्मीदें इस मिशन पर टिकी हुई हैं. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है. ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा.