हर साल की तरह इस बार भी अक्तूबर में हम मेरा रंग फाउंडेशन का वार्षिक आयोजन कर रहे हैं. इस बार यह आयोजन शनिवार, 5 अक्तूबर को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC) में होगा। इस बार का विषय है 'महिलाओं के प्रति हिंसा और मीडिया की भूमिका'। आज हम आपका परिचय करा रहे हैं हमारे पैनल में शामिल प्रियंका दुबे से।

प्रियंका दुबे द्विभाषी लेखक और पत्रकार हैं। सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों पर उनकी खोजी रिपोर्टिंग ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान जीते हैं, जिनमें 2019 का चमेली देवी जैन अवार्ड फॉर आउटस्टैंडिंग वुमन जर्नलिस्ट, 2015 का नाइट इंटरनेशनल जर्नलिज्म अवार्ड, 2014 का कर्ट शॉर्क अवार्ड इन इंटरनेशनल जर्नलिज्म, 2013 का रेड इंक अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन इंडियन जर्नलिज्म, 2012 का प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म और 2011 का रामनाथ गोयनका अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन इंडियन जर्नलिज्म शामिल हैं। उनकी रिपोर्ट्स 2014 के थॉमसन फाउंडेशन यंग जर्नलिस्ट फ्रॉम द डेवलपिंग वर्ल्ड अवार्ड्स और 2013 के जर्मन डेवलपमेंट मीडिया अवार्ड्स में फाइनलिस्ट थीं। वह तीन बार लाडली मीडिया अवार्ड विजेता और पूर्व शेवनिंग फेलो भी हैं।

प्रियंका की पहली किताब, जिसका शीर्षक 'नो नेशन फॉर वीमेन: रिपोर्ताज ऑन रेप फ्रॉम इंडिया, द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी है , यह 2019 में साइमन एंड शूस्टर इंडिया द्वारा प्रकाशित की गई थी। इस पुस्तक को शक्ति भट्ट फर्स्ट बुक प्राइज 2019, टाटा लिटरेचर लाइव अवार्ड्स 2019 और प्रभा खेतान वूमन वॉयस अवार्ड 2019 के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था।

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न्यूज़ सोर्स : Shalini Shrinet