कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने यादगीर जिले में एक उच्च जाति के युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करने पर दलितों का बहिष्कार किए जाने के मामले पर अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगी है।

शनिवार को बेंगलुरु में पत्रकारों से एचएम परमेश्वर ने कहा, "मैंने अधिकारियों से एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। यह 500 की आबादी वाला एक गांव है और अधिकांश लोग अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। जानकारी मिली कि दलित युवती के साथ एक उच्च जाति के युवक ने दुष्कर्म किया। इस घटना की शिकायत दर्ज कराई गई तो गांव के लोगों ने दलितों का बहिष्कार कर दिया। उनलोगों ने शिकायत दर्ज कराने को ही गलत बता रहे थे।"

दुकान दलित बच्चों को पेन-नोटबुक तक नहीं दे रहे: गृहमंत्री

उन्होंने कहा, "स्कूली बच्चों को नोटबुक, पेन नहीं मिल रहे हैं और गांव में दलितों को पानी लाने से भी रोका जा रहा है। मैंने अधिकारियों को तुरंत वहां जाने और कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। यदि आवश्यक हो तो शिकायत दर्ज करें। गृह मंत्री ने कहा, "जांच फिलहाल शुरुआती स्तर पर है और मैंने वरिष्ठ अधिकारियों से आगे की रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।"

शिकायत दर्ज कराने पर ऊंची जाति का समुदाय नाराज हुआ

बता दें, शुक्रवार को सामने आई एक चौंकाने वाली घटना में यादगीर जिले में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ बलात्कार की रिपोर्ट करने पर कर्नाटक के एक गांव में एक दलित परिवार का बहिष्कार किया गया। पीड़िता के परिवार द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद ऊंची जाति का समुदाय नाराज हो गया। जानकारी के मुताबिक ऊंची जाति के युवक ने हुनसगी तालुक के पास एक गांव में नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था। इस कारण 15 वर्षीय पीड़िता गर्भवती हो गई थी।

पांचवें महीने की गर्भवस्था होने के बाद मामले का पता चला

परिवार को घटना के बारे में तब पता चला जब लड़की गर्भावस्था के पांचवें महीने में थी। परिवार ने 12 अगस्त को नारायणपुरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उच्च जाति समुदाय के नेताओं ने दलित परिवार के घर लोगों को भेजा और उन्हें समझौते के लिए बुलाया। हालांकि, दलित परिवार ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की मांग की।

दुकानदार दलित परिवार का कर रहे बहिष्कार

इसके बाद, ऊंची जाति के नेताओं ने गांव में दुकान मालिकों को दलितों का बहिष्कार करने का आदेश दिया। दुकानदार अब दलित समुदाय के बच्चों को पेन, नोटबुक और पेंसिल जैसी बुनियादी स्टेशनरी वस्तुएं बेचने से इनकार कर रहे हैं। दलित परिवारों को गांव की दुकानों द्वारा दैनिक राशन नहीं बेचा जा रहा है और वे सभी आवश्यक सामान एक दुकान से लाने के लिए मजबूर हैं।

गांव के दलित लोग डर के साये में जी रहे हैं और उन्होंने अधिकारियों से सहायता मांगी है। दलित संगठनों ने घटना पर चिंता जताई थी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। यादगीर कर्नाटक के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है और इसके सामाजिक संकेतक हैं।