केन्द्र सरकार समावेशी विकास की दिशा में एक बड़े वर्ग को जोड़ने की पहल कर रही है। सूत्र बताते हैं कि केन्द्र सरकार राष्ट्रीय   सहकारिता नीति में बदलाव करने की बात कर रही है। इस बदलाव का कारण सरकार पर काॅरपोरेट घरानों को अधिक सहयोग करने के आरोपों का खण्डन हो सकता है। अगर सरकार की यह नीति सफल रही तो हर जिले में सहकारी बैंक और दुग्ध उत्पाद संघों की स्थापना हो सकती है। 
वर्तमान में दो लाख के करीब पंचायतों में अभी कोई सहकारी संस्थाएं नहीं है। इन पंचायतों में विभिन्न सहकारी माॅडल की पहचान हेतु कार्य किया जा रहा है। किसान उत्पाद संगठनों को उत्पादन एवं विपणन की समझ विकसित करने अनेकों प्रयास जारी हैं। 

मप्र सरकार दे रही यह सुविधा 
राज्य सरकार इस वक्त स्टार्टअप गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है। विभिन्न सहकारी संस्थाओं के उत्पादों एवं सेवाओं के विपणन हेतु सरकारी तौर पर तो प्रयास जारी है ही ,सरकार चाहती है कि संस्थाएं स्वयं उत्पादन से लेकर विपणन को लेकर तैयार हो जिससे की बाजर तक किसान  संगठनात्मक रूप से स्वयं अपनी पहुंच बना सके। 
इन क्षेत्रों का विकास संभव

  • कृषि स्वास्थ्य सेवा
  • खाद्य प्रसंस्करण इकाई 
  • पशुपालन
  • पशुआहार
  • जल संरक्षण
  • नवीनीकरण उर्जा
  • सिंचाई में तकनीक
  • ग्रामीण पर्यटन
  • बायोगैस प्लांट
  • वित्तीय साक्षरता 
  • सामाजिक उद्यम को बढ़ावा
  • जिला सहकारी संघों के लिए प्रशिक्षण कोष
  • एफपीओ की व्यपक क्षमता निर्माण
  • इस्पेक्टर राज को समाप्त करने नया सिस्टम
  • बिजनेस डेव्लप्मेंट प्रोग्राम
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सहकारिता से जुड़ने  मप्र सरकार के इस लिंक का उपयोग करें

Co-operative Society Registration Admin (mp.gov.in)

न्यूज़ सोर्स : Yogendra Patel -Sociologist Riter