क्या है वर्तमान जीवन की नाजुकता एवं ऐसा क्या लिखा इस लेखिका ने जिससे मिला नोबेल पुरस्कार

हान कांग एक बेचैन करने वाली कहानीकार हैं जो पाठक को मानवीय अनुभव के दिल में ले जाती हैं, साहित्य के क्षेत्र में 2024 का नोबेल पुरस्कार दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को को दिया गया. उन्हें उनके गहन काव्यात्मक गद्य के लिए इस सम्मान से नवाजा गया. उनका गद्य मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करता है. उनके किताबों में द वेजिटेरियन, द व्हाइट बुक, ह्यूमन एक्ट्स और ग्रीक लेसन्स शामिल हैं. दक्षिण कोरिया की लेखिका हान कांग को 2024 का साहित्य का नोबेल दिया जाएगा. पुरस्कार समिति ने कहा, कांग को "ऐतिहासिक आघातों का सामना करने वाली और मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करने वाली उनकी गहन काव्यात्मक रचना के लिए" नोबेल दिया जाएगा.
नोबेल समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन ने एक बयान में कहा, "शरीर और आत्मा, जीवित और मृत के बीच संबंधों के बारे में उनकी एक अनूठी समझ है, और उनकी काव्यात्मक और प्रयोगात्मक शैली समकालीन लेखन में एक मार्ग दर्शक बन गई है."
साहित्य का नोबेल जीतने वाली पहली दक्षिण कोरियाई नागरिक हान कांग ने 1993 में लिटरेचर एंड सोसाइटी पत्रिका में कई कविताओं के प्रकाशन के साथ अपना करियर शुरू किया, जबकि गद्य में उनकी शुरुआत 1995 में लघु कहानी संग्रह "लव ऑफ योसु" के साथ हुई थी.
हान कांग का जन्म 1970 में दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू में हुआ था और वो सियोल में रहती हैं. उन्होंने 2016 में अपने उपन्यास "द वेजिटेरियन" के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार जीता था. ये मांस खाना बंद करने के फैसले से एक महिला के जीवन पर पड़ने वाले असर की कहानी है.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हेन कांग का जन्म दक्षिण कोरिया के शहर ग्वांगजू में साल 1970 में हुए था. जब वह 9 साल की थीं तब अपने परिवार के साथ सियोल चली गईं. उनके पिता भी एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं. अपने लेखन के साथ-साथ, हान कांग ने खुद को कला और संगीत के लिए भी समर्पित कर दिया.
इस वर्ष के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हान कांग ने 1993 में कोरियन पत्रिका साहित्य और समाज में कई कविताओं के प्रकाशन के साथ अपना करियर शुरू किया था. उनकी गद्य की शुरुआत 1995 में लघु कहानी संग्रह लव ऑफ येओसु (कोरियन भाषा) के साथ हुई. इसके तुरंत बाद उपन्यास और लघु कथाएं दोनों आईं.
हान काँग की किताब ‘द वेजीटेरियन’ के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा हुआ देखा । पढ़कर और जानने की इच्छा हुई। इंटरनेट पर बिखरी जानकारियों को पढ़ने के बाद लगा कि हान काँग ने स्त्री की अपनी वर्जनाओं को तोड़ने की विरल कहानी लिखी है। जिसमें भिन्न अवस्था में स्त्री की मन:स्थिति दर्ज की गई है।वह सबकुछ करती है जिसे भी उसके लिए ठीक नहीं माना गया। चाहे वह पारंपरिक मांसाहार छोड़ना हो या बहनोई से शारीरिक सम्बन्ध या फिर ख़ुद को वनस्पति के अधिक क़रीब पाना और इस हद तक डूब जाना कि पागलखाना ही आख़िरी पनाह हो।जितना जाना, उससे यह बड़े मेयार की किताब नज़र आ रही है। इस साल इसे पढ़ जाना है।
Anu Shakti Singh
दक्षिण कोरिया की सबसे बडी और मशहूर किताब की दूकान का नाम है "क्योबो" जिसमें तेईस लाख किताबें सजी रहती हैं। इस पुस्तक भंडार की हर दीवार पर किताबें सजी हैं, लेकिन एक दीवार दशकों से खाली है। उस पर लगे बोर्ड पर लिखा है, "साहित्य के नोबेल विजेता कोरियाई लेखक के लिये आरक्षित"। आज उस बोर्ड का सूनापन दूर हुआ। कोरियाई साहित्य-रसिकों का मनोरथ पूरा हुआ।